आज फिर एहसासों को
शब्दों मे पिरोने की कोशिश
कर रही हूँ और
शब्द कम पड़ रहे हैं.……
२७ सालों बाद
स्कूल के दोस्तों से मिली ,
जो अपनापन और प्यार
महसूस हो रहा था
वो हर किसी से
मिल कर नहीं होता ,
उस लम्हे को कैसे दूँ शब्द ?
वो लम्हा तो बस
दिल के दरवाज़े मे
क़ैद हो कर अपनी खुशबू
बिखेर रहा है ,
ख़ुशी के पल तो
पंख लगा कर उड़ गए
पर एहसासों के
निशाँ छोड़ गए ,
आज आँखें बार - बार
नम हो रहीं है
उन पलों को याद कर के ,
पर तस्सली इस बात की है की
ये एहसास ,दोस्ती और मिलन
की खुशबू अब सदा रहेगी
हम सब के साथ
रेवा
क्या कहें ...आपके दिल से निकली मीठी सी बात है...मधुर यादें कभी नहीं जाती
ReplyDeleteshukriya sanjay
Deleteबहुत सुन्दर .खुशनुमा यादें हमेशा साथ रहती हैं.
ReplyDeleteनई पोस्ट : फासले कब मिटा करते हैं
sahi kaha apne.....shukriya
Deletebahut sunder madhur si rachna....bachpan ki dosti ke yade dil me sada basi rahti hai ...
ReplyDeletethank u vasu di
Deleteसशक्त रचना...बहुत खूब...
ReplyDeleteदोस्ती एक ऐसा एहसास है जिसे शब्दोँ में उकेर पाना नामुमकिन है...सुंदर और सफल प्रयास आपका।।
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना .....बीते कल की यादें लौट आती हैं ....
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