बचपन से लेकर आज तक
बहुत कड़वाहट मिली है ,
बेगानों से और
अपनों से भी……
आदत सी हो गयी है जैसे
तिरस्कार और कड़वाहट
सहने की ,
पर मज़े की बात तो
ये है की
अब इस कड़वाहट मे भी
मधुरता का स्वाद आता है,
ज़िन्दगी अब कड़वी नहीं
बल्कि शहद सी मीठी
लगती है,
और ये कमाल
इसलिये हुआ है
क्योकी
"मुझे प्यार हो गया खुद से" !
रेवा
जब तक ध्यान तो ऐसा ही होता है लेकिन जब सबसे बेखबर हो जाओ सबकुछ ठीक ..बहुत कुछ अपने पर निर्भर करता है खुश रहना ..
ReplyDeleteसुन्दर भाव ....
ReplyDeleteबिलकुल सही आपने कहा जब अपनों से प्यार हो जाता है तो सब कुछ खुशियों में तब्दील हो जाती है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव.
ReplyDeleteनई पोस्ट : मन का अनुराग
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (23.01.2015) को "हम सब एक हैं" (चर्चा अंक-1867)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteshukriya Rajendr ji
Deleteसुन्दर रचना !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
मगर पोस्ट्स पसंद आये तो कृपया फॉलोवर बनकर हमारा मार्गदर्शन करे
shukriya Manoj ji...jarur
Deleteआपने सही कहा है जी .
ReplyDeleteमेरे ब्लोग्स पर आपका स्वागत है .
धन्यवाद.
विजय
क्योंकि
ReplyDeleteमुझे प्यार हो गया है खुद से
......वाह .सीधे ह्रदय की बात कह दी hates of to you ...... रेवा जी
ये बहुत अच्छी भावना है...खुद से प्यार करना।
ReplyDeleteअति सुन्दर बात बतायी आपने
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग http://tinyurl.com/q8oqmm6
सौजन्य-@[699991806774491:]
mere blog par apka swagat hai....shukriya Rs Diwraya
Deleteसुन्दर भाव -- सुन्दर शब्द रचना
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in