तुम्हे क्या लगता है
मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता
आराम से रह लेती हूँ
तुम्हारे बिना ??
वहीँ घर के काम
खाना पीना और सोना ………
ये क्यों नहीं समझते की
जब तक सुबह तुम्हारे साथ
दो कौर खा न लूँ
मेरा मन भूखा रहता है ..........
शाम को जब तुम घर आते हो
तो खाली घर भर जाता है ,
तुम्हारी आवाज़ सुनकर
सन्तुष्टि सी महसुस होती है .......
बात तुम चाहे न करो
पर बगल मे तुम्हे सोया देख कर
मेरी नींद पूरी हो जाती है……
ऐसा महसुस होता है की
"तुम मेरी आदत और आदत
ज़िन्दगी बन गयी है अब "!!!!
रेवा