जब से तुझसे
ब्याह हुआ
इस सिन्दूर से भी
रिश्ता जुड़ गया ,
रोज़ सुबह इसे
अपनी मांग मे भरना
हमारे ब्याह की निशानी
मात्र नही
ये तो तुम्हारा प्यार है
जिसे रोज़ सुबह
मै
ख़ुद मे भर लेती हूँ ,
इसका लाल रंग
मुझे तुम्हारे साथ
बिताये
हर सिन्दूरी लम्हे की
याद दिलाता है ,
हर उस वादे की
जो हमने एक दूसरे से किया
और जिसे हम अब तक
निभाते आये ,
हर उस दुःख की
जो हम साथ बाँट लेते हैं ,
हर उस सुकून भरे पल की
जो एक दूजे के पहलु
मे बिताते हैं ,
यही दुआ है
उस परवरदिगार से की
हर स्त्री के जीवन मे
प्यार की लाली
बरक़रार रहे !!!!!!!!
रेवा
आदरणीय, चिरस्थाई प्रेम का सुन्दर वर्णन ,आभार "एकलव्य"
ReplyDeleteshukriya dhruv ji
Deleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteshukriya sudha ji
Deletebahot khoobsurat
ReplyDeleteshukriya rubi ji
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11-05-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2630 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
shukriya dilbag ji
Deleteabhar yashoda behen
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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