मेरे दिल का
एक खाली कोना
जो कभी भरा नहीं
पर जब वो मिला
तुम्हारे दिल के
खाली कोने से
तो अनायास ही
दोनों कोने भर गए
और साथ हम भी
हर खुशी और ग़म
साझा करते रहे
बातों में खिलखिलाहट की
लड़ियाँ पिरोते रहे
ऐसा लगा ज़िन्दगी
आसां हो गयी
पर अचानक तुमने
खींच लिया अपने
दिल के कोने को
अपनी तरफ
मैं हिल गयी
अब क्या करुँगी
कैसे जियूंगी
पर मैंने
इस बार अपने
मन के कोने को
ख़ाली नहीं होने दिया
जानते हो क्यों ??
खींच लिया अपने
दिल के कोने को
अपनी तरफ
मैं हिल गयी
अब क्या करुँगी
कैसे जियूंगी
पर मैंने
इस बार अपने
मन के कोने को
ख़ाली नहीं होने दिया
जानते हो क्यों ??
इतने दिनों के साथ ने
मुझे मजबूत बना दिया
और मैंने अपने लिए
अपने प्यार से
भर लिया
मेरे दिल का वो कोना !!
मेरे दिल का वो कोना !!
रेवा
वाह बहुत खूब।
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-11-2018) को "ओ३म् शान्तिः ओ३म् शान्तिः" (चर्चा अंक-3158) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार
Deleteबहुत सुन्दर रचना 👌
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteक्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.
ReplyDeleteशुक्रिया
Deletemy feeling
ReplyDeleteHmmmm
Delete