बाजार सजा है
तुम्हारी प्यास बुझाने को
तुम वहां रोज़ जाते हो
फिर भी उसे वैश्या कह
तिरस्कृत करते हो
और ख़ुद सम्मानित
कहलाते हो
बीवी के रहते हुए भी
रासलीला रचाते हो
और ख़ुद को कृष्ण
सरीखे बताते हो
इतने सब पर भी
जाने क्या बाकी
रह जाता है की
तुम बलात्कार
पर बलात्कार
करते हो
इस घृणित कार्य को
करने के बाद भी
ख़ुद को तो बाइज्ज़त बरी
कर लेते हो और
उसको पीड़िता बता
बहिष्कृत करते हो
उसके पहनावे
उसके चलने के तरीके
उसके मेकअप
उसके घर से बाहर
निकलने के समय
सब पर दोष और पाबंदी
लगाते हो
पर ख़ुद को साफ़
बचा लेते हो ..
ये सारी कितनी अजीब
बात है न
हर बार लगातार
सारी परिस्थियों में
ख़ुद को दोषरहित
बताते हुए
साफ़ बचा लेते हो
और उसे कटघरे में
खड़ा कर देते हो !!
#रेवा
#पुरुष
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (25-11-2018) को "सेंक रहे हैं धूप" (चर्चा अंक-3166) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार
Deleteसार्थक रचना
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 24/11/2018 की बुलेटिन, " सब से तेज़ - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteतिक्त दर्द।
ReplyDeleteअप्रतिम अभिव्यक्ति ।
शुक्रिया
DeleteI really like the post. It is very great blog. I shared post in 24 hour Des Moines Towing. It is best training provide. It is best reviews. Thanks for posting.
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