जल रहा है देश मेरा
जल रहा है घर मेरा
इंसान को इंसान समझो
मज़हबों में न बांटो
वो बैठे हैं ऊँची कुर्सियों में
उनका मज़हब उनका धर्म
उनका ईमान बस
पैसा और कुर्सी
इसे समझो
ऐ कुर्सी वाले बख्श दो
देश के भविष्य को
बख्श दो हमारे बच्चों को
जिस देश में है बसेरा
चिड़ियों का उस देश को
गिध्दों का बसेरा न बनाओ
देश के भविष्य को
बख्श दो हमारे बच्चों को
जिस देश में है बसेरा
चिड़ियों का उस देश को
गिध्दों का बसेरा न बनाओ
बहुत मुद्दे हैं देश के सामने
उनसे लड़ने के बजाय
लोगों को लड़वाना बंद करो
ये रक्त पात बंद करो
बंद करो बंद करो
उनसे लड़ने के बजाय
लोगों को लड़वाना बंद करो
ये रक्त पात बंद करो
बंद करो बंद करो
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 25 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteशुक्रिया
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ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
26/01/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
शुक्रिया
Deleteसार्थक रचना
ReplyDeleteशुक्रिया
Deletethank you for this amazing article, keep writing more post like this.
ReplyDeletewe will be waiting.......
how to find happiness within yourself?