गृहस्थी में भी और जिंदगी में भी अक्सर देखा गया है, नियंत्रित होने वाला और नियंत्रण करने वाला इन दोनों का जीने का एक तरीका बन जाता है।
पर ये भी तो एक चक्र की तरह है न जब सालों बाद, यही उल्टा होता है तो रिश्ते में कड़वाहट आने लगती है। क्योंकि नियंत्रण करने वाले को आदत जो है अपने तरीके से नियंत्रण करने की।
पर अब नियंत्रित होने वाला उसे और ले नहीं पाता और विद्रोह कर देता है। मन से नियंत्रण करने वाले का बुरा न चाहते हुए भी हर बार चोट करता है और सुकून महसूस करता है।
रिश्ते टूट जाते हैं या फिर ख़ामोश हो जाते हैं,
पर नियंत्रण करने वाले का बदलना नामुमकिन सा लगता है। चाहे वो नियंत्रित करने वाले को
प्यार ही क्यों न करता हो, उसका अहम उसे बदलने से रोकता है और सुंदर रिश्ते की मौत तब निश्चित हो जाती है।
पर अब नियंत्रित होने वाला उसे और ले नहीं पाता और विद्रोह कर देता है। मन से नियंत्रण करने वाले का बुरा न चाहते हुए भी हर बार चोट करता है और सुकून महसूस करता है।
रिश्ते टूट जाते हैं या फिर ख़ामोश हो जाते हैं,
पर नियंत्रण करने वाले का बदलना नामुमकिन सा लगता है। चाहे वो नियंत्रित करने वाले को
प्यार ही क्यों न करता हो, उसका अहम उसे बदलने से रोकता है और सुंदर रिश्ते की मौत तब निश्चित हो जाती है।
#रेवा
सही कहा
ReplyDeleteशुक्रिया
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