बीज की कोख़
में रहते हैं
तमाम पेड़ पौधे
जब बड़े होते है
परिवार बढ़ता है उनका
फूल,पत्ते, टहनियाँ,फल......
जब फूल,फल इनसे
अलग होते हैं
ये हमसे कुछ बोलते नहीं
बल्कि खुशी खुशी
हमे दे देते हैं
जब पत्ते पीले होकर
झड़ जाते हैं
तब भी चुप रहते हैं...
इन्हे आस होती है
कि नए फूल पत्ते
फिर खिलेंगे
अलग होते हैं
ये हमसे कुछ बोलते नहीं
बल्कि खुशी खुशी
हमे दे देते हैं
जब पत्ते पीले होकर
झड़ जाते हैं
तब भी चुप रहते हैं...
इन्हे आस होती है
कि नए फूल पत्ते
फिर खिलेंगे
पर जब हम इन
पेड़ों को ही काट
देते हैं
तब इंतक़ाम लेते हैं
पेड़ों के जन्म दाता
यानी ये प्रकृति
जो हम झेलते हैं
तूफान, बाढ़, सूखा
मौसम में अचानक बदलाव
और अनेक बिमारियों के
रूप में ...
क्या अच्छा न हो की
हम सजग हो जाएं
अपनी प्रकृति
और अपने इन जीवनदायिनी
बंधुओं का ख्याल रखे ...
रेवा
पेड़ों को ही काट
देते हैं
तब इंतक़ाम लेते हैं
पेड़ों के जन्म दाता
यानी ये प्रकृति
जो हम झेलते हैं
तूफान, बाढ़, सूखा
मौसम में अचानक बदलाव
और अनेक बिमारियों के
रूप में ...
क्या अच्छा न हो की
हम सजग हो जाएं
अपनी प्रकृति
और अपने इन जीवनदायिनी
बंधुओं का ख्याल रखे ...
रेवा
प्रकृति का स्वभाव हम इंसान सीख ले तो फिर कोई दुःखी न होगा
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत शुक्रिया आपका
Deleteसार्थक एवं सारगर्भित अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteपर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
शुक्रिया संग आभार
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