हँसी आती है मुझे
ये देख कर की लोगों के
बोलने मे
और सोच मे
कितना फरक होता है ,
बोलते कुछ हैं
मानते कुछ हैं ,
हमेशा ही ये बोला जाता है की
मन सुन्दर होना चाहिए ,
तन की सुन्दरता
कोई मायने नहीं रखती ,
पर सच तो ये है की
मन की सुन्दरता से
कम ही सरोकार होता है ,
जो दीखता है वो
तन की सुन्दरता होती है ,
वोही सबसे पहली चीज़ है
जो दिखती है ,
और उसी से लोग
इम्प्रेस हो जाते है ,
और कहा भी जाता है न की
"फर्स्ट इम्प्रैशन इस द लास्ट इम्प्रैशन "
फिर मन देखने की कौन कोशिश करता है ?
यही है
आज की दुनिया का कड़वा सच /
रेवा
ये देख कर की लोगों के
बोलने मे
और सोच मे
कितना फरक होता है ,
बोलते कुछ हैं
मानते कुछ हैं ,
हमेशा ही ये बोला जाता है की
मन सुन्दर होना चाहिए ,
तन की सुन्दरता
कोई मायने नहीं रखती ,
पर सच तो ये है की
मन की सुन्दरता से
कम ही सरोकार होता है ,
जो दीखता है वो
तन की सुन्दरता होती है ,
वोही सबसे पहली चीज़ है
जो दिखती है ,
और उसी से लोग
इम्प्रेस हो जाते है ,
और कहा भी जाता है न की
"फर्स्ट इम्प्रैशन इस द लास्ट इम्प्रैशन "
फिर मन देखने की कौन कोशिश करता है ?
यही है
आज की दुनिया का कड़वा सच /
रेवा
True& cruel Reality of Modern Time. well said.
ReplyDeleteहँसी आती है मुझे
ReplyDeleteये देख कर की लोगों के
बोलने मे
और सोच मे
कितना फरक होता है ,
बोलते कुछ हैं
मानते कुछ हैं ,
यही तो मैं सोच रही थी !!
सही कहा आपने
ReplyDeleteसादर
महत्व तो दोनों का ही है!
ReplyDeletepradeep ji shukriya apka....
ReplyDeleteआपकी बात सही है...
ReplyDeleteफर्स्ट इम्प्रेसन के चक्कर में मन देखना भूल जाते है लोग...
दुनिया बाज़ार है
ReplyDeleteरेवा जी,
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से गहरे भावों को उतारा है आपने !!
aap sabka bahut bahut shukriya...
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