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Thursday, February 29, 2024

न्यूरो डिसऑर्डर

उसके चारों हाथ पैर 
सही काम करते हैं 
वो गूंगा बेहरा भी नहीं 
फिर भी वो सामान्य नहीं 
क्योंकि उसके दिमाग की
एक नस सूख रही है 

उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है 
क्योंकि असामान्य लोगों के लिए 
जगह कहाँ होती है ऑफिस में 

फिर भी किसी तरह कमाई का 
साधन जुटाता है वो घर जो चलाना है
पर कभी कभी जबान से 
तो कभी चलते चलते 
लड़खड़ा जाता है 
लोग उसे शराबी कह कर 
धिक्कारते हैं 
वो शराबी नहीं 
उसके दिमाग की बस एक नस 
सूख रही है 

वो सामाजिक उत्सवों में जाता जरूर है 
पर जाकर एक जगह बैठा रहता है
कहीं किसी स्त्री से टकरा न जाये
ये डर उसे कुर्सी से चिपका देता है 
खाता है तो चम्मच छूट जाती है हाथ से 
भारी प्लेट पकड़ा नहीं जाता 
हर बार वो भूखा भारी मन लिए 
वापस घर आता है

बीवी बच्चे माता पिता तक उसे 
टोकते रहते हैं
वो सामान्य जीवन जी नहीं पाता
हर दिन उसके लिए जंग है 
किसी दिन हर काम ठीक से कर लेता है 
तो छोटे बच्चे की तरह 
खुश हो जाता है

क्या क्या लिखूं और आप क्या क्या 
सुनोगे ये तो बस आईने का एक कोना है 
इल्तजा इतनी है कि कभी भीड़ में 
ऐसा कोई मिल जाये तो मज़ाक 
उड़ाने की बजाय मदद का हाथ 
बढ़ा देना 
नहीं उसे हमदर्दी नहीं बस आपसे थोड़ा 
सा प्यार थोड़ी समझ और
बहुत सारा सम्मान चाहिए

जानते हैं
इन न्यूरो डिसऑर्डर वाले लोगों के 
प्रति जागरूकता नहीं है समाज में  
क्योंकि इनकी बीमारी दिखती नहीं 
न इन्हें समझा जाता है 
इन्हें बस हर दिन तिरस्कार झेलने
के लिए मजबूर किया जाता है !!!

#रेवा

Tuesday, October 10, 2023

पहला प्यार

वो मुझसे मेरा पहला 
प्यार चाहता है 
दफ़न एहसासों से 
एहसास चाहता है 

उन सिसकती तड़पती 
रातों का अब जवाब 
देना चाहता है 
समंदर के लहर में 
समायी नदी का 
रुख मोड़ना चाहता है 
जिसके दिल को कभी छू न पाया
उसकी रूह को अब छूना चाहता है
वो मुझसे मेरा पहला प्यार चाहता है

ये भूल गया है कि स्त्री हूं मैं
जितनी सहनशक्ति है मुझमें 
उतना ही गुरूर भी है 
जब पढ़ नहीं पाए एहसास 
तो रुकी नहीं वहां 
जब तड़पाया तो टूटी नहीं 
जब अहमियत नहीं दी 
तो बिखरी नहीं मैं 
बस अपनी तनहाई का
हाथ थाम लिया....
साथ तो हूं पर
अब न लौटा पाऊंगी 
वो सारे जज्बात...... 
दुख तो बहुत होता है 
पर मैं भी हूं एक जीती 
जागती इन्सान हूं... 

कितनी अजीब बात है न 
"अब" वो मुझसे मेरा पहला 
प्यार चाहता है 

#रेवा

Sunday, January 2, 2022

खर्च



मैं जब रूठूं तो
मना लेना मुझे
मैं जब जीवन से
हार मानने लगूं
तो जिंदगी पर
फिर से भरोसा
दिला देना मुझे
मैं जब अपने से
परेशान हो कर
सबसे दूर हो जाऊं
तो पास बुला लेना मुझे
मैं जब तकलीफों से
त्रस्त हो आंसुओं में
भीगने लगूं
तो अपने साथ होने का
एहसास दिला देना मुझे

इतनी सारी फरमाइशों के साथ
एक गुजारिश और है तुम से
इस मिनी को जब भी
संभालने की बारी आए
तो बस कुछ प्यार और दुलार
से भरे लफ्ज़
खर्च कर देना उस पर।।
#रेवा
#मिनी

Friday, December 24, 2021

माघ की मेहँदी








यूँ तो हमारे यहाँ
प्रथा है कि
सुहागनें कोई भी
व्रत उपवास करने से पहले
हाथों में मेहँदी सजाती है,
मुझे ये समझ नहीं आता था
हर बार माँ से
एक ही सवाल
ऐसा क्यों ?
नहीं लगाया तो क्या होगा ?
पर अब जब
अपनी बारी आई और
हाथों में
तेरे नाम की मेहँदी लगायी
तो समझ आयी
माँ की सारी अनकही बात,
मेहँदी ने मेरे हाथों में
जो रंग चढ़ाया वो
बिलकुल तेरे प्यार की तरह था,
कहीं रंग कम
कहीं ज्यादा
कहीं मिला जुला
कहीं एकदम फीका
पर पूरी हथेली
और उँगली
जैसे खिल गयी हो
मेहंदी के रंग से
और जब तुमने 
बढ़कर मेहंदी 
लगे हाथों को चूमा 
तो हाथों के साथ 
मेरे गाल भी सुरमई 
हो गए !!!!

Thursday, January 7, 2021

प्रेम



प्रेम ये शब्द 
राग की तरह मन के 
तारों को झंकृत करता है 
ध्यान मग्न योगी 
जैसे ईश्वर के दर्शन पा कर 
भाव विभोर हो जाता है 
वैसा ही है प्रेम 

मेरी समझ में 
प्रेम मानसिक भी होता है और 
दैहिक भी
मानसिक प्रेम हमसफर के साथ 
हो ये ज़रूरी नहीं 
पर दैहिक प्रेम जीवन साथी के  
साथ होता ही है 
ये प्रेम छुअन से उपजता है   
पर तन मन धन और जीवन का साथ देता है 
प्यार इस साथ में भी भरपूर होता है 

पर मानसिक प्रेम में दैहिक की जगह 
ही नहीं होती
इसे समझना और पाना मुश्किल है 
इस प्रेम में 
सारे एहसास अनछुए होते हैं
ये प्रेम ऐसा होता है जैसे 
धड़कन की ध्वनि 
जैसे बांसुरी को होठों में 
लगा कर निकाली गई धुन 
जो जीवन भर के लिए 
मदहोश कर फिर 
विलीन हो जाती है 
ब्रह्माण्ड में कहीं ....

#रेवा
 


  

Thursday, October 22, 2020

ताउम्र




मैं तो नहीं रहने वाली ताउम्र यहां 
आप 
क्या आप रहने वाले हैं
हमेशा के लिए यहां
नहीं ना
तो फिर इतनी चिंता किस
बात की
अरे खुल कर जियो
मौज में रहो

चार पैसे कम कमा लोगे
तो कुछ न बिगड़ेगा
कौन सा साथ लेकर
जाना है
जितनी जरूरत है उतना
कमाओ
मशहूर न हुए न सही
ऊपर कोई नहीं पूछने वाला

लेकिन सोचो
इन सब की वजह से
अगर ज़िन्दगी न जिया
तो वो न मिलने की दोबारा
ये बस इसी बार है
तो जी लो खुल कर
प्यार करो दिल भर कर
दोस्त बनाओ जी भर कर
मस्ती करो
और चैन से रहो
क्योंकि तुम हमेशा
नहीं रहने वाले यहां


#रेवा


Friday, August 28, 2020

ओहदा



मुझे मलाल है की 
मैं बुलंदियों को छू ना पाई
पर ये तस्सली भी है
कि जितना कुछ
हासिल किया अपने दम
पर हासिल किया
कभी किसी का सीढ़ी
की तरह इस्तेमाल नहीं किया

मैं जानती हूँ 
मैं जहाँ हूँ वहां पहुँचना
दूसरों की लिए   
चुटकियों की बात होगी 

पर मैं संतुष्ट हूँ ख़ुद से
और यही संतुष्टि हर किसी के
बस की बात नहीं

आपका ओहदा आपकी बुलंदी
आपको बहुत मुबारक
मेरी संतुष्टि मुझे प्यारी है 
हाँ एक बात और कहना चाहती हूँ
मुझसे जब भी मिलें
अपने ओहदे की पैरहन
उतार के मिले
क्योंकि मैं मुलाकात
इन्सान से करना पसंद करती हूँ 
ओहदे से नहीं 

#रेवा