माना अभी मैं बच्ची हूँ
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ
मगर दिल की बहुत सच्ची हूँ ,
माना के सपने अधूरे हैं
इरादे फिर भी पुरे हैं ,
माना के दूर है अस्मा
पाने का फिर भी है अरमा ,
माना अभी मैं बच्ची हूँ
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ l
माना की दुनिया की राहों से अनजानी हूँ
इसलिए तो मैं पागल दीवानी हूँ ,
माना के अपने जिद पर जीना चाहती हूँ
पर सिर्फ प्यार ही पाना चाहती हूँ ,
माना अभी मैं बच्ची हूँ
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ l
रेवा
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ
मगर दिल की बहुत सच्ची हूँ ,
माना के सपने अधूरे हैं
इरादे फिर भी पुरे हैं ,
माना के दूर है अस्मा
पाने का फिर भी है अरमा ,
माना अभी मैं बच्ची हूँ
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ l
माना की दुनिया की राहों से अनजानी हूँ
इसलिए तो मैं पागल दीवानी हूँ ,
माना के अपने जिद पर जीना चाहती हूँ
पर सिर्फ प्यार ही पाना चाहती हूँ ,
माना अभी मैं बच्ची हूँ
अक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ l
रेवा
Bachche man key sachche !
ReplyDeleteHahahahahahaaaa
Jo bada bankar bhi bachcha hi rehta hey ,
vo hi jivan mey sachcha rehta hey ji !!!
Good Luck Minni
thanx dadu
ReplyDeletedon,t get embarrassed. your all poem are in a great sense. keep it on
ReplyDeletethanx upendra ji
ReplyDeleteमाना अभी मैं बच्ची हूँ
ReplyDeleteअक्ल की थोड़ी कच्ची हूँ
मगर दिल की बहुत सच्ची हूँ
Sach me aisihi lagti ho!Dil ki sachhee!
kshama ji thanx .....i always wait for ur comments....uskya bina pura hi nahi lagta
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