कान्हा तेरे चरणों मे अर्पण है
ये अश्रु के फूल
क्षमा करना मेरी सब भूल ,
पापिनी हूँ दुखियारिणी हूँ
पर हूँ तो तेरी हि रचना ,
करती हूँ विनती आँखों मे भर नीर
हरना मेरे ह्रदय की पीर
चाहे कैसी भी हो तकदीर ,
जब भी टूटी मेरी आस
तुने ही भरा नया विश्वास
नव जीवन और उल्लास ,
आज फिर हूँ बहुत निराश
डर और आशंका से भरी
है हर साँस ,
तेरे सिवा कोई नज़र आता नहीं
दिल का बोझ अब सहा जाता नहीं ,
आंखें मूंदे झोली फैलाइए
खड़ी हूँ आस लगाये ,
अब देर न कर
तेरी बेटी तुझे बुलाये ,
या तो तू बुला ले अपने पास
नहीं तो बना ले अपने
चरणों का दास !!
रेवा
पहली बार भगवान की भक्ति पर लिखा है ,मन से आवाज़ आई उसे शब्द दिया है बस
कुछ भूल हो थो अवश्य बताएं //