कान्हा तेरे चरणों मे अर्पण है
ये अश्रु के फूल
क्षमा करना मेरी सब भूल ,
पापिनी हूँ दुखियारिणी हूँ
पर हूँ तो तेरी हि रचना ,
करती हूँ विनती आँखों मे भर नीर
हरना मेरे ह्रदय की पीर
चाहे कैसी भी हो तकदीर ,
जब भी टूटी मेरी आस
तुने ही भरा नया विश्वास
नव जीवन और उल्लास ,
आज फिर हूँ बहुत निराश
डर और आशंका से भरी
है हर साँस ,
तेरे सिवा कोई नज़र आता नहीं
दिल का बोझ अब सहा जाता नहीं ,
आंखें मूंदे झोली फैलाइए
खड़ी हूँ आस लगाये ,
अब देर न कर
तेरी बेटी तुझे बुलाये ,
या तो तू बुला ले अपने पास
नहीं तो बना ले अपने
चरणों का दास !!
रेवा
पहली बार भगवान की भक्ति पर लिखा है ,मन से आवाज़ आई उसे शब्द दिया है बस
कुछ भूल हो थो अवश्य बताएं //
सुन्दर शब्द रचना !
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत लिखा हैं
ReplyDeletebhakti ki antrangata ka sahaj prvaha ....lajbab rachana ke liye sadar abhaar reva ji
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर दीदी
ReplyDeleteहर कम पहली बार होता हैं वो आप करो चाहे कोई और
आपको बहुत बहुत बधाई इस पोस्ट के लिए
behtreen prastuti, jai Sree Krishna
ReplyDeleteबढ़िया भक्ति - रचना
ReplyDeleteजीवन की भाषा जब जड़ें पकडती हैं तो आध्यात्म मुखरित होता है- बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteजब भी टूटी मेरी आस
ReplyDeleteतुने ही भरा नया विश्वाश
नव जीवन और उल्लास ,
आज फिर हूँ बहुत निराश
डर और आशंका से भरी है हर साँस ,
तेरे सिवा कोई नज़र आता नहीं
दिल का बोझ अब सहा जाता नहीं
बस थोड़ा सा और धैर्य ! विश्वास की डोर कमजोर ना हो !
भगवान के प्रति अर्चना ही हो सकती है ... और जो भी उसके प्रति है उसमें भूल तो वो होने नहीं देता ... अच्छी रचना है ...
ReplyDeleteishwar prem me jo bhi likha jata hai usme bhul ho hi nahi sakti , ye to dil ke bhav hai jo shabdon ke madhyam se swarup lete hai
ReplyDeleteभक्ति में भूल कैसी रेवा.....
ReplyDeleteसहज अभिव्यक्ति है....बहुत सुन्दर...
बस ये निराशा के भाव टिकने न देना.....
सस्नेह
अनु
aap sabka bahut bahut shukriya...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteshukriya sanjay ji
ReplyDeletemadanji bahut bahut shukriya.....jaroor
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