पहले जब कभी
थोडा समय मिलता था ,
तो बहुत अकेलापन
और तन्हाई महसूस होती थी ,
पर अब
कलम से दोस्ती हो गयी है ,
ये इतना सुखद बदलाव है
की क्या कहूँ ,
अब अकेलापन
मुझे डसता नहीं ,
न ही
तन्हाई सताती है ,
हर वक़्त मेरी दोस्त
कलम
मुझे अपने पास बुलाती है ,
इसकी वफ़ादारी
की तो मैं कायल हो गयी हूँ ,
दिन हो या रात
हर वक़्त हर पल साथ ,
कैसी भी हो बात
या कितने भी बिगड़े हो हालात ,
नहीं छुड़ाती अपना हाँथ
रोते और हँसते भी हैं हम
साथ साथ ,
ऐ! मेरी दोस्त कलम
बस यूँही निभाना
हमारा साथ /
रेवा
कितने भी बिगड़े हो हालात ,
ReplyDeleteनहीं छुड़ाती अपना हाँथ ....
सच्ची बात |
कलम हर अच्छे-बुरे मे हमारे साथ होती है...बिलकुल सच्चे दोस्त की तरह।
ReplyDeleteसादर
अति उत्तम शब्द रचना !!
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति...... .
ReplyDeleteसही कहा आपने ...कलम अपना साथ कभी नहीं छोड़ती..
ReplyDeleteAajkal qalam mujhse rooth gayee hai!
ReplyDeleteroothi nahi hai....bass thoda vishram liya hai...
Deleteसही कहा दीदी अपने बिलकुल सही चाहे कुछ न हो कलम है तो तन्हाई भी डसने से घबराती है जब तक कलम है हमारे साथ तब किसी को भी मानाने मैं भी ये बहुत बड़ा सहयोग देती है
ReplyDeleteyashwant ji shukriya
ReplyDeleteसच कहा है .... कलम जिसका हाथ थाम ले उसका अकेलापन हमेशा के लिए दूर हो जाता है ...अच्छी रचना है ...
ReplyDeleteबहुत सच कहा है...कलम सुख दुःख में सच्चा साथी है..सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteकलाम से दोस्ती हो जाये तो कभी अकेलापन नहीं खटकता ...सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सटीक रचना
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.............कलम अपना साथ कभी नहीं छोड़ती..
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
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