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Friday, August 24, 2012

कलम से दोस्ती

पहले जब कभी 
थोडा समय मिलता था ,
तो बहुत अकेलापन 
और तन्हाई महसूस होती थी  ,
पर अब 
कलम से दोस्ती हो गयी है ,
ये इतना सुखद बदलाव है 
की क्या कहूँ ,
अब अकेलापन 
मुझे डसता नहीं ,
न ही 
तन्हाई सताती है ,
हर वक़्त मेरी दोस्त 
कलम 
मुझे  अपने पास बुलाती है ,
इसकी वफ़ादारी
की तो मैं कायल हो गयी हूँ ,
दिन हो या रात 
हर वक़्त हर पल  साथ ,
कैसी  भी हो बात 
या कितने भी बिगड़े हो हालात ,
नहीं छुड़ाती अपना हाँथ 
रोते और हँसते भी हैं हम 
साथ साथ ,
ऐ! मेरी दोस्त कलम 
बस यूँही निभाना 
हमारा साथ /


रेवा   

  

15 comments:

  1. कितने भी बिगड़े हो हालात ,
    नहीं छुड़ाती अपना हाँथ ....
    सच्ची बात |

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  2. कलम हर अच्छे-बुरे मे हमारे साथ होती है...बिलकुल सच्चे दोस्त की तरह।


    सादर

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  3. खुबसूरत अभिवयक्ति...... .

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  4. सही कहा आपने ...कलम अपना साथ कभी नहीं छोड़ती..

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  5. Aajkal qalam mujhse rooth gayee hai!

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    1. roothi nahi hai....bass thoda vishram liya hai...

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  6. सही कहा दीदी अपने बिलकुल सही चाहे कुछ न हो कलम है तो तन्हाई भी डसने से घबराती है जब तक कलम है हमारे साथ तब किसी को भी मानाने मैं भी ये बहुत बड़ा सहयोग देती है

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  7. सच कहा है .... कलम जिसका हाथ थाम ले उसका अकेलापन हमेशा के लिए दूर हो जाता है ...अच्छी रचना है ...

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  8. बहुत सच कहा है...कलम सुख दुःख में सच्चा साथी है..सुन्दर प्रस्तुति...

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  9. कलाम से दोस्ती हो जाये तो कभी अकेलापन नहीं खटकता ...सुंदर प्रस्तुति

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  10. बहुत सटीक रचना

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  11. सुन्दर प्रस्तुति.............कलम अपना साथ कभी नहीं छोड़ती..

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