रोज़ मन में कई ख्याल उठते हैं
कुछ शब्दों के मोती बन कर
कविता का रूप ले लेते हैं ,
और कुछ बुलबुले बन कर गायब हो जातें हैं ,
पर सुना है भाप भी कभी ख़त्म नही होते ,
कभी न कभी वो फिर मन के द्वार
पर दुबारा दस्तक दे ही देते हैं
और फिर जन्म लेती है
एक अद्धभुत रचना ........
रेवा
कुछ शब्दों के मोती बन कर
कविता का रूप ले लेते हैं ,
और कुछ बुलबुले बन कर गायब हो जातें हैं ,
पर सुना है भाप भी कभी ख़त्म नही होते ,
कभी न कभी वो फिर मन के द्वार
पर दुबारा दस्तक दे ही देते हैं
और फिर जन्म लेती है
एक अद्धभुत रचना ........
रेवा
bahut bahut sundar
ReplyDeleteपर सुना है भाप भी कभी ख़त्म नही होते ,
ReplyDeleteसही सुना , वही तो मेघ बन बारिश लाते हैं ....
जैसे ये एक अद्धभुत रचना बन गई ....
sach kaha aapne ........
ReplyDeleteसच सृजन का कही अंत नहीं होता ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सकारात्मक प्रस्तुति
वाह ...बहुत खूबसूरत मन के भाव
ReplyDeleteबिलकुल ... शब्द फिर इकट्ठे होते हैं,भावनाओं के संग बरसते हैं
ReplyDeleteBehad achha likhtee hain aap!
ReplyDeleteमन में उठने वाले ख्यालों का कविता के रूप में ढलने का हृदयस्पर्शी चित्रण !!
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
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