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Saturday, October 13, 2012

कविता का सफ़र

रोज़ मन में कई ख्याल उठते हैं

कुछ शब्दों के मोती बन कर

कविता का रूप ले लेते हैं ,

और कुछ बुलबुले बन कर गायब हो जातें हैं ,

पर सुना है भाप भी कभी ख़त्म नही होते ,

कभी न कभी वो फिर मन के द्वार 


पर दुबारा दस्तक दे ही देते हैं 


और फिर जन्म लेती है 


एक अद्धभुत रचना  ........



रेवा 





9 comments:

  1. पर सुना है भाप भी कभी ख़त्म नही होते ,
    सही सुना , वही तो मेघ बन बारिश लाते हैं ....

    जैसे ये एक अद्धभुत रचना बन गई ....

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  2. सच सृजन का कही अंत नहीं होता ..
    बहुत बढ़िया सकारात्मक प्रस्तुति

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  3. वाह ...बहुत खूबसूरत मन के भाव

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  4. बिलकुल ... शब्द फिर इकट्ठे होते हैं,भावनाओं के संग बरसते हैं

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  5. मन में उठने वाले ख्यालों का कविता के रूप में ढलने का हृदयस्पर्शी चित्रण !!

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