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Wednesday, December 26, 2012

प्यार के गवाह

वैसे तो मैं
हर रात ही गाने सुनकर
सोती  हूँ ,
पर जाने कल क्या हुआ ?
तेरी यादों ने
इस कदर दस्तक दी की
नींद से कोसो दूर मैं
बस हर गाने की
किरदार को निभाने लगी,
और उनमे
तेरी कमी महसूस
करने लगी ,
इतनी ज्यादा की
वो कमी आँखों से
बहने लगी ,
न जाने क्यों ?
पर कल तेरी यादों ने
खूब रुलाया ,
पर ये आंसू
बहुत सुकून भी  दे
रहे थे ,
क्युकी ये हमारे
प्यार के गवाह
जो थे /


रेवा 

Tuesday, December 18, 2012

क्या यही वो आजाद धरती है ?

आज अख़बार मे
फिर एक खबर छपी
फिर इनसानियत शर्मसार हुई ,
फिर हंगामा हुआ
देश भर मे ,
फेसबुक की हैडलाइन बनी
लोगो ने खूब बुरा भला कहा ,
पर वही
होगा कुछ नहीं ,
न ठोस क़ानून बनेगा
न कोई एक्शन होगा ,
कुछ दिन बाद
ये फिर
कल की बात हो जाएगी ,
हम भी
जिसमे मैं भी शामिल हूँ
लिख कर अपना गुस्सा
जाहिर कर लेंगे
पर होगा क्या ?
कुछ नहीं ,
हर माँ के दिल मे एक डर
जब उसकी बेटी
घर के बहार जाएगी ,
कब तक हम ऐसे जियेंगे ,
क्या यही वो आजाद धरती है
जिसके लिए
शहीदों ने क़ुरबानी दी थी ?


रेवा





Saturday, December 15, 2012

आज का प्यार

"प्यार" सच या सपना
कहीं मिलता है कोई अपना ?
या ये बस एक छलावा है
उलझे रहने का एक सहारा है ,
बिना "मतलब " प्यार का भी
अस्तित्व नहीं शायद ,
दुनिया मे लोग
जितना खुद को प्यार करते हैं
उसका लेश मात्र भी
दूसरों से नहीं करते ,
बस अपने मतलब को
प्यार का चोला पहना
देते हैं और
बड़ी बड़ी बातें भर करतें हैं,
क्युकी प्यार का सच्चा
एहसास तो उन्हें छु
कर भी नहीं गया है ,
अगर ऐसा होता तो
तो आज जितनी अराजकता
फैली है वो नहीं होती ,
न ही किसी के "न "
कहने पर उसे मार दिया जाता
या तेजाब से चेहरा ख़राब कर दिया जाता ,
क्युकी प्यार तो बस प्यार करना
जानता है न ,
अफ़सोस हम अपने बच्चों को
प्रकृति के साथ-साथ
प्यार का भी तोहफा
नहीं दे पायेंगे /

रेवा



Wednesday, December 12, 2012

स्त्री

स्त्री
बोलने को शक्ति स्वरुप
घर की धुरी ,घर की लक्ष्मी , 
जिसके बिना घर, घर नहीं होता 
जो अपने से पहले 
घर वालों का ध्यान रखती है ,
चाहे खाना हो या कपड़े 
पहले उनकी जरूरते 
पूरी करती है ,
फिर खुद के बारे मे 
सोचती है ,
पति का तो खास 
ध्यान रखती है ,
अपनी हर एक दुआ मे 
उसे शामिल करती है ,
पर कितने पति होंगे 
जो भगवान से 
अपनी बीवी की लम्बी उम्र 
की कामना करते होंगे ?
अगर पति प्यार न भी करे 
तो भी उसे लगता है 
की शायद परेशान हैं 
कोई बात नहीं ,
बीमारी मे भी ध्यान 
न रखे तो भी 
वो कभी शिकायत नहीं करती ,
उसे लगता है उससे भी जरूरी 
उनके पास काम है ,
हर कठिनाई मे 
सोचा जाता है की 
वो खुद ही संभाल लेगी समझदार है  ,
पर इन्सान है वो भी 
कभी कुछ भूल से 
भी गलत हो गया तो  
बोला जाता है की उसमे 
बुद्धि की कमी है ,
कितनी दोहरी 
मानसिकता लिए जीते हैं लोग 
शायद सब घरों मे नहीं 
पर अभी भी 
बहुत घरों की कहानी है ये 
पर कब तक ?


रेवा 



Tuesday, December 11, 2012

लाखों मे एक

कहने को तो
हर दोस्त
अपना होता है ,
पर सच्चा दोस्त
एक सपना होता है ,
मिलने को
ज़िन्दगी मे
मिल जाते हैं
कई लोग ,
पर जिससे दिल मिल जाए
वो लाखों मे
एक ही होता है /

रेवा

Friday, December 7, 2012

क्या यही वो ज़िन्दगी है

रोज़ की और और की दौड़ मे
खुशियों के वो छोटे छोटे पल
कहीं दब कर रह गयें हैं ,
और सबसे बड़ी बात
ये हमें पता भी नहीं चलता की
हम कब एक robot वाली
ज़िन्दगी जीने लगे हैं ,
न हमारे पास जीवन साथी
की बातें सुनने का समय होता हैं
न बच्चो की शरारतों मे खुश होने का ,
बस जीए चले जा रहे हैं
क्या यही वो ज़िन्दगी है
जिसकी हम कामना करते हैं ,
नीरस ,बेमायने
क्या हम वक़्त निकाल कर सोच पायेंगे ????????

रेवा 

Sunday, December 2, 2012

तुम ऐसे क्यों हो ?

तुम ऐसे क्यों हो ?
मुझे जिस रिश्ते की जरूरत होती है
तुम वैसे ही कैसे बन जाते हो ?
कभी दोस्त कभी हमसफ़र
कभी प्रेमी ,कभी बचपन का साथी
कैसे निभा लेते हो इतने सारे किरदार ?
क्यों सुन और समझ लेते हो मेरी हर बात
कितना झगड़ती हूँ ,कभी बेमतलब गुस्सा
हो जाती हूँ ,
पर तुम्हारे माथे पर एक शिकन तक नहीं आती
हमेशा मेरी बातें सुन कर हँसते रहते हो ,
कभी सोचती हूँ क्या रिश्ता है मेरा तुम्हारा ?
किस नाम से पुकारू तुम्हे ?
पर नहीं ,शायद हमारे रिश्ते को नाम
देना बेमानी , बेमतलब है ,
ये ऐसा अटूट रिश्ता है
जो किसी नाम ,किसी बंधन
का मोहताज नहीं
ये निर्मल जल जैसा है ,
जो बस बहता रहता है
हमारे एहसासों की नाव लिए ,
और कहता है
"नाव कागज़ की सही
पर डूबेगी नहीं "/



रेवा