तुम ऐसे क्यों हो ?
मुझे जिस रिश्ते की जरूरत होती है
तुम वैसे ही कैसे बन जाते हो ?
कभी दोस्त कभी हमसफ़र
कभी प्रेमी ,कभी बचपन का साथी
कैसे निभा लेते हो इतने सारे किरदार ?
क्यों सुन और समझ लेते हो मेरी हर बात
कितना झगड़ती हूँ ,कभी बेमतलब गुस्सा
हो जाती हूँ ,
पर तुम्हारे माथे पर एक शिकन तक नहीं आती
हमेशा मेरी बातें सुन कर हँसते रहते हो ,
कभी सोचती हूँ क्या रिश्ता है मेरा तुम्हारा ?
किस नाम से पुकारू तुम्हे ?
पर नहीं ,शायद हमारे रिश्ते को नाम
देना बेमानी , बेमतलब है ,
ये ऐसा अटूट रिश्ता है
जो किसी नाम ,किसी बंधन
का मोहताज नहीं
ये निर्मल जल जैसा है ,
जो बस बहता रहता है
हमारे एहसासों की नाव लिए ,
और कहता है
"नाव कागज़ की सही
पर डूबेगी नहीं "/
रेवा
मुझे जिस रिश्ते की जरूरत होती है
तुम वैसे ही कैसे बन जाते हो ?
कभी दोस्त कभी हमसफ़र
कभी प्रेमी ,कभी बचपन का साथी
कैसे निभा लेते हो इतने सारे किरदार ?
क्यों सुन और समझ लेते हो मेरी हर बात
कितना झगड़ती हूँ ,कभी बेमतलब गुस्सा
हो जाती हूँ ,
पर तुम्हारे माथे पर एक शिकन तक नहीं आती
हमेशा मेरी बातें सुन कर हँसते रहते हो ,
कभी सोचती हूँ क्या रिश्ता है मेरा तुम्हारा ?
किस नाम से पुकारू तुम्हे ?
पर नहीं ,शायद हमारे रिश्ते को नाम
देना बेमानी , बेमतलब है ,
ये ऐसा अटूट रिश्ता है
जो किसी नाम ,किसी बंधन
का मोहताज नहीं
ये निर्मल जल जैसा है ,
जो बस बहता रहता है
हमारे एहसासों की नाव लिए ,
और कहता है
"नाव कागज़ की सही
पर डूबेगी नहीं "/
रेवा
Aisa koyi qismatwalon ko hee milta hai!
ReplyDeleteसुन्दर बात
ReplyDeleteये ऐसा अटूट रिश्ता है
ReplyDeleteजो किसी नाम ,किसी बंधनका मोहताज नहीं
ये निर्मल जल जैसा है , जो बस बहता रहता है
हमारे एहसासों की नाव लिए ....
किसी की नज़र ना लग जाए .......... सम्भाल कर रखना !!
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ReplyDeleteरेवा जी...
ReplyDeleteदिल से निकले भावों का बहुत ही प्यारा चित्रण किया आपने !
सच में..
जो रिश्ते दिल से जुड़े होते हैं वो नामों के मोहताज़ नहीं होते !!
lajavab
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DeleteAPNE COMMENTS KYU DELETE KI SAMAJH NAHI AYA
Deleteतुम ऐसे क्यो हो?
ReplyDeleteइस प्रश्न का कोई जवाब नही है
kash aisa khubsurat kirdaar har ke jeevan me ho:)
ReplyDeletebahut sundar sawal...aur aapki racna bhi
ReplyDeleteकितनी परितृप्ति देनेवाली कल्पना है!
ReplyDeleteखूबसूरत ख्याल
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
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