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Thursday, January 24, 2013

छोटी



छोटी !! हाँ यही नाम था उसका ....10 साल की प्यारी सी बच्ची , माँ की जान ,घर की शान .... पर कहाँ पता था , उन लोगों को कि क्या होने वाला है , एक दिन जब घर के निचे खेल रही थी छोटी अपनी सहेलियों के साथ ...माँ उपर से देख रही थी कि , बेटी ठीक है , खेल रही है ,माँ निश्चिन्त हो कर काम से अन्दर गयी ....छोटी खेलते खेलते , नीचे के ही घर में पानी मांगने चली गयी ,उसे नहीं पता था ,घर पर सिर्फ नौकर था .... उसने छोटी को बहला-फुसला कर अन्दर बुला लिया , बच्ची को छुरा दिखा कर डरा कर ,उसे रूम मे बंद कर लिया और उसकी अस्मत लुटने की कोशिश की ,पूरी तरह कामयाब नहीं हो सका , क्यूंकि बाहर से उसके और दोस्त उसे बुला रहे थे , कुछ देर में उसे जाने दिया / डर से कांपती बिना समझे कि क्या होने वाला था  उसके साथ ... माँ के पास रोती - रोती गयी , और उन्हें पूरी बात बताई / उस दिन उसकी माँ एक तरह से मर गयी ,खुद को कोसती रही कि वो अपनी बेटी को बचा न सकी ,हर दिन एक बार छोटी का कांपना और उसका उस दिन का रोना याद कर के खुद रो लेती / छोटी को कहीं जाने न देती , अपनी नजरो के सामने रखने की कोशिश करती , यहाँ तक की उसका खेलना भी बंद कर दिया....सब इस डर से कि वो फिर कहीं किसी हादसे का शिकार न हो जाये / पर फिर उसने पक्का निश्चय किया कि नहीं ,अब वह बेटी को मजबूत बनाएगी .... खुद रो रो कर नहीं जीएगी ....छोटी ने कोई गलती नहीं की , वो सजा क्यों भोगे ? उसकी इस सोच ने उसकी और उसकी बेटी की ज़िन्दगी बदल दी /



रेवा 

8 comments:

  1. रेवा जी...
    बहुत गहरे भाव लिए हुए है आपकी यह कृति !

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  2. हर औरत में इसी प्रकार की आत्म विश्वास की आवश्यकता है.
    New post कृष्ण तुम मोडर्न बन जाओ !

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  3. अब हौंसले की ही जरुरत है ...आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना ही होगा

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  4. डर को जो जीत ले वो हर जंग जीत लेता है ....

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  5. दहला देते हैं ऐसे हादसे...
    माँ करे भी तो क्या...कब तक बचाती रहे...लड़ना सीखना ही होगा बेटियों को....

    सस्नेह
    अनु

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  6. बहुत सही रास्ता ....यही होना चाहिए

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  7. ऐसे हादसों का होना हर वक़्त डराए रखता है, न जाने कब किसके साथ... अच्छी प्रस्तुति, शुभकामनाएँ.

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