अल्फाजों को तौलना
लफ़्ज़ों से खेलना
नहीं आता मुझे ,
सीधे तरीके से
बात सामने रखना
आदत है मेरी ,
प्यार और सपनों
से भरी मेरी आंखें ,
सादगी मेरा गहना
सरलता श्रृंगार है ,
आडम्बर और दिखावे
से दूर ,
अपनी सीधी सरल
दुनिया है मेरी ,
पर कहाँ अच्छी लगती है
लोगों को ऐसी दुनिया ,
इसलिए शायद बहुत अकेली रह
गयी /
रेवा
आदत है मेरी ,
प्यार और सपनों
से भरी मेरी आंखें ,
सादगी मेरा गहना
सरलता श्रृंगार है ,
आडम्बर और दिखावे
से दूर ,
अपनी सीधी सरल
दुनिया है मेरी ,
पर कहाँ अच्छी लगती है
लोगों को ऐसी दुनिया ,
इसलिए शायद बहुत अकेली रह
गयी /
रेवा
सादगी मेरा गहना सरलता श्रंगार है (सबसे सुंदर दुनिया है
ReplyDeleteशुभ कामनाएं )
एक अकेली
ReplyDeleteक्यों है अकेली
शायद शब्दहीन है
या.....वो
अर्थहीन भी हो सकती है
पर है तो वो
अकेली....
पता नहीं मैं भी ना
क्या टाईप कर बैठी
सादर
वो ही तो नारी की महानता है सरलता , और हर बात को इशारों में ही समझना ही तो नारी की पहचान है अकेली आप नहीं अकेली ये दुनिया हो रही है आप जैसी नारियों से ऐसी भावनाओ की कमी बहुत है अकेली आप नहीं वो आडम्बर , दिखावा .छल , कपट है जिसे आप अपने पास पटकने तक नहीं देती है
ReplyDeleteमेरी आज की नई रचना जिसे आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार है
ये कैसी मोहब्बत है
:)
ReplyDeleteबहुत ही सादगी की प्रस्तुतीकरण,आभार आदरेया.
ReplyDeleteसरल और सुंदर अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteआप भी पधारो आपका स्वागत है ...
http://pankajkrsah.blogspot.com