इतना टूट कर चाहा तुझे कि
टूटना मेरी किस्मत बन गयी ......
इतना तड्पी तेरे साथ के लिए
कि तडपना मेरी आदत बन गयी ......
इतना सिसकी तेरे दीदार को
कि सिसकना मेरी ज़िन्दगी बन गयी.....
ऐ दिल कभी न कर प्यार किसी से
कि कहीं प्यार मे मरना जरूरत न बन जाये।।
रेवा
टूटना मेरी किस्मत बन गयी ......
इतना तड्पी तेरे साथ के लिए
कि तडपना मेरी आदत बन गयी ......
इतना सिसकी तेरे दीदार को
कि सिसकना मेरी ज़िन्दगी बन गयी.....
ऐ दिल कभी न कर प्यार किसी से
कि कहीं प्यार मे मरना जरूरत न बन जाये।।
रेवा
बहुत सुंदर..
ReplyDeleteप्यार , प्यार कितना प्यारा नाम है इस प्यार का और उतना ही प्यार दर्द जो इस दर्द को न जाने वो इस प्यार को कैसे जाने
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी रचना उतने ही प्यारे अहसास
मेरी नई रचना
फरियाद
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
दिनेश पारीक
मार्मिक है आदरिया ।।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
बढ़िया.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteकभी चिट्ठियों में इजहार करके महीनों इन्तजार किया करते थे...
ReplyDeleteआज तो हर दो मिनट में टूटते हैं दिल हजार बार
मेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
हम्म्म्म.......
ReplyDeleteमगर प्यार में मरने का अपना मज़ा है...
:-)
सस्नेह
अनु
हर जगह "की" को "कि" कर लो
shukriya di...sure....
Deleteप्रेम में तो जीना चाहिए ... मरने की बातें क्यों ... प्रेम तो एहसास है खुशियों का ...
ReplyDeletepyar ki khubsurat aadat.. wah..
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