इतनी व्यवस्तता और मुश्किलों
के बीच भी ,
आज चेहक उठी मैं
सारी परेशानियाँ
जैसे छु मंतर हो गयी हों ,
पूछा भी तो था आज तुमने ?
पर जानते नहीं
के ये बस तुम्हारी
आवाज़ की जादूगरी है ,
जो आज बहुत दिनों बाद
सुनने मिली थी ,
तमाम मुसीबतें एक तरफ
और तुमसे मिलने वाला
सुकून एक तरफ
सच है ,
प्यार हमे कितना कुछ देता है
बस उसे महसूस करने वाला दिल चाहिये /
रेवा
के बीच भी ,
आज चेहक उठी मैं
सारी परेशानियाँ
जैसे छु मंतर हो गयी हों ,
पूछा भी तो था आज तुमने ?
पर जानते नहीं
के ये बस तुम्हारी
आवाज़ की जादूगरी है ,
जो आज बहुत दिनों बाद
सुनने मिली थी ,
तमाम मुसीबतें एक तरफ
और तुमसे मिलने वाला
सुकून एक तरफ
सच है ,
प्यार हमे कितना कुछ देता है
बस उसे महसूस करने वाला दिल चाहिये /
रेवा
प्यार का जादू .... ऐसा ही होता है
ReplyDeleteसच में प्यार होता ही ऐसा है ....कोई एक बार पूछे तो सही , बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...
ReplyDeleteसच में प्यार ऐसा ही होता है, सिर्फ महसूस करने वाला दिल होना चाहिए...बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबेहतरीन रचना. बधाई.
ReplyDeleteडा. रघुनाथ मिश्र
अधिवक्तता/ साहित्यकार.
नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
ReplyDeleteआपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
मेरी मांग
aap sabka bahut bahut shukriya
ReplyDeleteरेवा जी..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव संजोये हैं।