जैसे जैसे तुम्हारे जाने का
वक़्त नज़दीक आ रहा है ,
मन अजीब सा हो रहा है
पर इन कुछ दिनों मे
जो पल तुम्हारे साथ बिताये
उन्हें अपना सहारा बनाउंगी
जब तुम्हार कंधे की याद आयेगी तो
तकिये पर सर टिका लिया करुँगी ,
आंसुओं से नहीं
तुम्हारी यादों से
खुद को भिगोउंगी ,
इतनी कशिश
इतनी शिद्दत से
तुम्हे अपने पास महसूस करुँगी की
तुम भी मुझे
प्यार किये बिना
न रह पाओगे
चाहे दूर से ही सही ,
"अपने प्यार की चांदनी मे भिगोना है तुझे
इन दूरियों को इस बार भरपूर जीना है हमे"
रेवा
बढ़िया प्रस्तुति-
ReplyDeleteशुभकामनायें आदरेया-
बहुत कोमल भावना कि सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteनई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
नई पोस्ट साधू या शैतान
आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........
ReplyDeleteदूरियां...पर इन कुछ दिनों मे
जैसे जैसे तुम्हारे जाने का
वक़्त नज़दीक आ रहा है ,
मन अजीब सा हो रहा है
बुधवार 02/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
shukriya Yashoda behen
Deleteबहुत बढ़िया,सुंदर भाव पूर्ण सृजन !
ReplyDeleteRECENT POST : मर्ज जो अच्छा नहीं होता.
भाव पूर्ण सुन्दर ...
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति |
ReplyDeleteवसीम बरेलवी कहते हैं -
"वह मेरे घर नही आता ,मैं उसके घर नही जाता ..
मगर इन एहतियातो से ,ताअल्लुक मर नही जाता "|
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“महात्मा गाँधी :एक महान विचारक !”
दूरी का भी अपना मज़ा है ... दुदाई का मीठा दर्द भी मज़ा देता है कभी .... ...
ReplyDeleteजुदाई ...
Deleteदेखना ,दूरियाँ प्रेम को और बढ़ा देंगी.............
ReplyDeleteसुन्दर कविता!!
सस्नेह
अनु
कोमल अहसास लिए सुन्दर रचना...
ReplyDelete:-)
बहुत सुन्दर अहसास लिए है कविता, पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...बहुत अच्छा लगा। शुभकामनाएं ।।
ReplyDeleteparul ji blog par swagat hai apka.....shukriya apka
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