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Friday, November 22, 2013

माँ



"माँ "

इस शब्द मे कितना प्यार
कितनी ममता छिपी है ,
माँ सुनते ,बोलते ही
मन प्यार से भर उठता है ,
पर हम बेटियों का नसीब देखो
दूर बैठे कभी जब
मन तड़प उठता है
माँ से मिल नहीं पाते ,
उनके गोद मे सर रख कर
उनका स्पर्श मेहसूस कर नहीं पाते ,
पर इस टेक्नोलॉजी के ज़माने ने
इतना तो एहसान किया है की
जब चाहे
उनकी आवाज़ सुन पाते  हैं /

"माँ तुझसे मिलने को मन है अधीर
 कैसे धरु अब धीर
या तो तू आजा , या मुझे  बुला ले
तेरी बेटी व्याकुल हो बहाये नीर "

रेवा






Sunday, November 17, 2013

सालों की मेहनत



मेरे सालों की
मेहनत रंग लायी 
मेरे प्यार और 
समर्पण ने 
अब तुम्हे भी 
प्यार करना 
सिखा ही दिया

अब मेरी मौज़ को
किनारा  ,
मेरे आँसुओं को
मंज़िल मिल गयी ,

मन तृप्त और संतुष्ट
हो गया ,
आखिर मेरे कान्हा ने
मेरी पुकार
मेरी गुहार सुन ली।

"जब लगा जीवन में
सबकुछ गयी हार ,
तो तूने लिया सम्भाल
भर दिया प्यार से मेरा संसार
कर दिया मुझे मालामाल "


रेवा 

Wednesday, November 13, 2013

फिर वही दर्द



हर बार क्यूँ
इस इम्तेहान
इस दर्द
के दौर से गुजरना
पड़ता है ,
मन लगाने के तो
कई साधन है,
पर वो जो
इस मन को सुकून दे
जिससे सब कुछ बाँट कर
मन हल्का हो सके ,
वो कहीं दूर
जा बैठा है ,
हमेशा सोचती हूँ
ये आखिरी बार है,
पर हर बार फिर
वही दर्द ,वहीँ कश्मकश
सामने खड़ा दीखता है ,


"जो तू नहीं मेरे पास
तो बस तन्हाई है आस-पास "

रेवा

Friday, November 8, 2013

तुम्हारी कविता



तुम्हारी प्यार भरी
बातों ने 
आज फिर 
कविता लिखने 
को प्रेरित किया 

शुरू से लेकर अभी तक 
सारी रचनायें 
तुम्हारी ही तो हैं 
मेरा तो उसमे 
कोई योगदान ही नहीं 

कभी तुझसे प्यार 
कभी तकरार लिखा ,
कभी तेरी बेरुखी 
कभी आंसूओं का हार लिखा 
कभी विरह वेदना 
कभी अपना अंतर्नाद लिखा 
कभी तेरी चाहत 
कभी अपना एहसास लिखा 

हर बार तुझे ही पढ़ा 
तुझे ही लिखा 
तुझे ही सुना
तूझे ही गुना
क्योंकि
मेरी ज़िन्दगी
तुम ही तो हो !!!!!



रेवा 


Friday, November 1, 2013

इंतज़ार



विरह कि बेला तो
सच मे बहुत
मुश्किल थी ,
पर जब
मिलन का समय
नज़दीक आने लगा तो ,
मन मे हज़ारों दीये
एक साथ जगमगाने लगे ,
लेकिन साथ ही साथ
इंतज़ार करना कठिन हो गया ,
एक एक पल जैसे
एक सदी बन गए ,
कितना कठिन होता है न
विरह और मिलन
के  बीच का इंतज़ार ,
पर शायद यही जीवन है
विरह मिलन के आनंद को
दुगना कर देता है,
जैसे दुःख
सुख़ के एहसास
को दुगना कर देता है।

रेवा