"माँ "
इस शब्द मे कितना प्यार
कितनी ममता छिपी है ,
माँ सुनते ,बोलते ही
मन प्यार से भर उठता है ,
पर हम बेटियों का नसीब देखो
दूर बैठे कभी जब
मन तड़प उठता है
माँ से मिल नहीं पाते ,
उनके गोद मे सर रख कर
उनका स्पर्श मेहसूस कर नहीं पाते ,
पर इस टेक्नोलॉजी के ज़माने ने
इतना तो एहसान किया है की
जब चाहे
उनकी आवाज़ सुन पाते हैं /
"माँ तुझसे मिलने को मन है अधीर
कैसे धरु अब धीर
या तो तू आजा , या मुझे बुला ले
तेरी बेटी व्याकुल हो बहाये नीर "
रेवा
सादर नमन-
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति आदरेया-
माँ ... दूर रहकर भी हर पल पास है
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है आपने
कोमल भाव रचना..
ReplyDeleteमाँ से दूर रहना बहुत मुश्किल है...