बातों ने
आज फिर
कविता लिखने
को प्रेरित किया
शुरू से लेकर अभी तक
सारी रचनायें
तुम्हारी ही तो हैं
मेरा तो उसमे
कोई योगदान ही नहीं
कभी तुझसे प्यार
कभी तकरार लिखा ,
कभी तेरी बेरुखी
कभी आंसूओं का हार लिखा
कभी विरह वेदना
कभी अपना अंतर्नाद लिखा
कभी तेरी चाहत
कभी अपना एहसास लिखा
हर बार तुझे ही पढ़ा
तुझे ही लिखा
तुझे ही सुना
तूझे ही गुना
क्योंकि
मेरी ज़िन्दगी
तुम ही तो हो !!!!!
तूझे ही गुना
क्योंकि
मेरी ज़िन्दगी
तुम ही तो हो !!!!!
रेवा
तू ही मेरी जिंदगी तू ही मेरी बंदगी
ReplyDeleteहम अपनी अनुभूति तो लिखते हैं
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति रेवा Sis
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : उर्जा के वैकल्पिक स्रोत : कितने कारगर
नई पोस्ट : कुछ भी पास नहीं है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (09-11-2013) "गंगे" चर्चामंच : चर्चा अंक - 1424” पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
rajeev ji bahut bahut shukriya apka
Deleteसमर्पित प्रेम की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteप्रेम रस में पगी और सुगंध वेखेरती रचना , (जी + पर अवश्य शेयर कर लिया कीजिये)
ReplyDeleteG+ par share tho kiya hai...pata nahi nazar aa rahi hai ki nahi
Deleteshukriya yashwant bhai
ReplyDeleteक्या कहने...
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत रचना..
प्रेमभाव में पूर्ण समर्पित...
:-)
प्रेम से ओत -प्रोत रचना। .... बहुत सुन्दर…
ReplyDeleteहर अहसास को छू कर गुज़र गई ...खूबसूरत रचना
ReplyDeleteभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
ReplyDeletewaah .......prem se labrez rachna
ReplyDeleteहर बार तुझे ही पढ़ा / वाह !
ReplyDeletemy letest post ---- चाँद