आहा !
प्यार भरी वो बारिश
सदा याद रहेगी मुझ को
जी भरकर भीगे थे हम
हर लम्हा हर पल
जीया था हमने
इन्द्रधनुषी सपने जैसा
पर बरसात के मौसम की तरह
तुम भी अब गुम हो गए हो कहीं
कई मौसम आये गए
पर तुम न आये
अब तो बस
रह गयी है
कुछ सीली यादें
अलमारियों में
बंद तुम्हारे खतों में अब
फफूँद लग गयी है
जिसे हर बरसात के
बाद साफ़ कर धूप में
रख देती हूँ ...
दिल की दीवारों से भी अब
पपड़ी बन झड़ने लगी है
तुम्हारी यादें और
धब्बे नज़र आने लगे हैं
मैंने सोचा उन पर
वास्तविकता
का रंग लगा दूँ
पर दोबारा उन पर
कोई भी रंग
क्यों न चढ़ा लो
वो अपने होने का एहसास
करवा ही देते हैं.…
और किसी न किसी
रूप में बनी रहती
हैं ये यादें
रेवा
टीसती यादों की खूबसूरत अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteshukriya Sadhna ji
Deletebahut sundar....
ReplyDeleteयादों की सुन्दर अभिव्यक्ति \
ReplyDeleteसावन का आगमन !
: महादेव का कोप है या कुछ और ....?
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07-08-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1698 में दिया गया है
ReplyDeleteआभार
shukriya Dilbag ji
Deleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteनई पोस्ट : आमि अपराजिता.....
सीलन नहीं सही होती चाहे कितनी भी रंगाई कर लें। .बहुत सुन्दर
ReplyDeleteswatiji mere blog par swagat hai apka....shukriya
Deleteसुन्दर रचना...
ReplyDeletebahut badhiya ji ....lekin sa par chhoti " e " nahi balki badi " e " ki matra lagni chahiye ....nahi to matlab ulta nikal raha hai .....sila ka hindi main maltlab hoga , jaise kapda silna .....yahan aapne geele pan se matlab diya hai to aapko seela likhna hoga .....aap bura naa mane , main koi bahut badi likhne wali nahi hun lekin hindi me chuk hote hi matlab badl jata hai ...
ReplyDeleteNahi bilkul bura manne wali baat nahi hai......bauki galti ki aur dhyan dilane ka shukriya. ....age bhi bejijhak batate rahiyega...yahi asha hai
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावप्रणव रचना।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteखूबसूरत अहसासों के साथ , बेहद सुंदर रचना । बधाई
ReplyDeleteshukriya madhuji....Annapurna ji
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