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Thursday, January 22, 2015

"मुझे प्यार हो गया खुद से"


बचपन से लेकर आज तक
बहुत कड़वाहट मिली है ,
बेगानों से और
अपनों से भी……
आदत सी हो गयी है जैसे
तिरस्कार और कड़वाहट
सहने की ,
पर मज़े की बात तो
ये है की
अब इस कड़वाहट मे भी
मधुरता का स्वाद आता है,
ज़िन्दगी अब कड़वी नहीं
बल्कि शहद सी मीठी
लगती है,
और ये कमाल
इसलिये हुआ है
क्योकी
"मुझे प्यार हो गया खुद से" !

रेवा 

14 comments:

  1. जब तक ध्यान तो ऐसा ही होता है लेकिन जब सबसे बेखबर हो जाओ सबकुछ ठीक ..बहुत कुछ अपने पर निर्भर करता है खुश रहना ..

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  2. बिलकुल सही आपने कहा जब अपनों से प्यार हो जाता है तो सब कुछ खुशियों में तब्दील हो जाती है

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  3. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (23.01.2015) को "हम सब एक हैं" (चर्चा अंक-1867)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।

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  4. सुन्दर रचना !
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
    मगर पोस्ट्स पसंद आये तो कृपया फॉलोवर बनकर हमारा मार्गदर्शन करे

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  5. आपने सही कहा है जी .
    मेरे ब्लोग्स पर आपका स्वागत है .
    धन्यवाद.
    विजय

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  6. क्योंकि
    मुझे प्यार हो गया है खुद से
    ......वाह .सीधे ह्रदय की बात कह दी hates of to you ...... रेवा जी

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  7. ये बहुत अच्‍छी भावना है...खुद से प्‍यार करना।

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  8. अति सुन्दर बात बतायी आपने
    मेरा ब्लॉग http://tinyurl.com/q8oqmm6
    सौजन्य-@[699991806774491:]

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    Replies
    1. mere blog par apka swagat hai....shukriya Rs Diwraya

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  9. सुन्दर भाव -- सुन्दर शब्द रचना
    http://savanxxx.blogspot.in

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