सीपों मे बंद
मोती
जैसे आँसू
आज ढुलक कर
बिखर गए हैं
हमारे चारों तरफ ,
उन्हें जमा कर
एक माला बनाई है मैंने ,
जिसमे कुछ
मेरे मोती हैं और
कुछ तुम्हारे ,
क्या तुम बता सकते हो
कौन सा मोती बेहतरीन है ?
किस मोती का क्या मोल है ?
ठीक वैसे ही
तुम नहीं अंतर कर सकते
हमारे प्यार में ,
नहीं तय कर सकते इसका मूल्य
" हमारा प्यार वो अनमोल रत्न है
जो साल दर साल चमकता है
हमारे साथ और समर्पण से "
रेवा
आदरणीय रेवा जी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ! प्यार समर्पण का दूसरा नाम है सही कहा।
ReplyDeleteshukriya dhruv ji
Deleteshukriya yashoda behen
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteshukriya kaushal ji
Deleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 1650वीं बुलेटिन - पंडित रवि शंकर में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteshukriya harshvarshvardhan ji
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteshukriya onkar ji
Deleteसुंदर
ReplyDeleteshukriya meena ji
ReplyDeleteकितनी खूबसूरती से शब्दों का ताना बना बुना है आपने
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