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Monday, April 17, 2017

वो देखो मदारी आया




वो देखो मदारी आया
बच्चों को बहुत भाया
तरह तरह के खेल दिखाता
कभी बन्दर को दुल्हन बनाता
कभी खुद बन्दर बन हँसता
बच्चों को बहुत भाता
खेल खेल मे सिख सिखाई
कभी न करना तुम सब लड़ाई
मिल जुल कर सदा रहना
जैसे एक माचिस मे रहती अनेक सलाई  !!

रेवा



10 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 19 अप्रैल 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आपकी रचना अत्यंत प्रेरणाप्रद है। "एकलव्य"

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  2. सीख देती सुन्दर कविता रेवा जी, समय के साथ-साथ मदारी भी अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है।

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