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Thursday, May 18, 2017

अनजानी लड़की




एक लड़की है
अनजानी सी ,
थोड़ी पगली
थोड़ी दीवानी सी ,
जीवन उसकी है
एक कहानी सी ,
कहती है झल्ली
खुद को
पर वो न जाने वो है
सयानी सी ,
हर बात मे कहती
"एक बात बताओ "
और फिर खुद ही
पिरोती जाती
अनगिनत बातें ,
पर बातें उसकी
नही होती बेगानी सी ,
ऐसे अपना लेती
जैसे
जन्मों से हो
पहचानी सी ,
गर जीवन मे
मिल जाये ऐसी दोस्त
तो फिर
जिंदगी खिल जाती
गुलमोहर सी ....

रेवा

14 comments:

  1. शुक्रिया यशोदा बहन

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  2. भावनापूर्ण अभिव्यक्ति। सुंदर आभार

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  3. बहुत सुंदर रचना

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    1. शुक्रिया लोकेश जी

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  4. बहुत सुन्दर....

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  5. जीवन में अल्हड़पन और साफ़गोई भरे दिल वाले मिलते मुश्किल से हैं। झल्ली / झल्ला शब्द सात -आठ साल पहले शहरी युवाओं में लोकप्रिय था ,शायद अब भी हो। परिवेश से जोड़कर लिखी गयी भावप्रवण रचना एक अभाव की ओर इंगित करती है जिससे हम महरूम होते जा रहे हैं। बधाई !

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    1. सच कहा अपने .....शुक्रिया ravindra जी

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  6. जीवन में अल्हड़पन और साफ़गोई भरे दिल वाले मिलते मुश्किल से हैं। झल्ली / झल्ला शब्द सात -आठ साल पहले शहरी युवाओं में लोकप्रिय था ,शायद अब भी हो। परिवेश से जोड़कर लिखी गयी भावप्रवण रचना एक अभाव की ओर इंगित करती है जिससे हम महरूम होते जा रहे हैं। बधाई !

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  7. Replies
    1. शुक्रिया सुशील जी

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  8. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (21-05-2017) को
    "मुद्दा तीन तलाक का, बना नाक का बाल" (चर्चा अंक-2634)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  9. सरल-सी सुन्दर-सी रचना

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