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Thursday, January 18, 2018

जहां इश्क वहां अमृता


जितना अमृता को 
पढ़ती हूँ उन्हे और
करीब से जानने का
मौका मिलता है
उनके और इमरोज़
के प्यार और एहसास को
पढ़ कर मेरी रूह
सिहर जाती है
आंखें भीग जाती है
इतना प्यार कैसे हो सकता है ?
मुमकिन नही न
पर है तो ऐसा ही
अमृता की मुस्कान
इमरोज़ की जान
अमृता का अगले जन्म का वादा
इमरोज़ का सच्चा इरादा
अमृता की आदत
इमरोज़ की इबादत
अमृता के नज़्म
इमरोज़ के रंग
और दोनों ही एक संग
ये सब कितना अदभुत है न ....
पर क्या इश्क मर सकता है
खत्म हो सकता है दुनिया से
नहीं न
गर इश्क नहीं तो दुनिया नहीं
तब जो खुद इश्क हैं
वो कैसे जा सकती है कहीं
वो यहीं है हम सब के बीच
जहां इश्क वहां अमृता
और वहीं इमरोज़ भी !!

रेवा

#अमृता के बाद की नज़्म 

17 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (20-01-2018) को "आगे बढिए और जिम्मेदारी महसूस कीजिये" (चर्चा अंक-2854) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, छोटी सी प्रेम कहानी “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. Replies
    1. दो कलाकारों के आपसी प्यार में भी कला के ही दर्शन होते हैं. अमृता प्रीतम और इमरोज़ के प्यार को हम एक कविता भी कह सकते हैं और एक चित्रकार की अनुपम कृति भी.

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  4. प्रेम के हज़ार रंग
    बहुत खूब!

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  5. बहुत सुन्दर

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  6. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'रविवार' २१ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  7. अमृता और इमरोज का प्रेम आदर्श प्रेम की मिसाल है...अब तो ऐसे प्रेम की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है ।

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  8. Replies
    1. शायद आप गाथा कहना चाहते हैं ....शुक्रिया

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