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Sunday, February 16, 2020

आधा चाँद



बहुत दिनों बाद 
आज फिर दिखा मुझे 
अपनी खिड़की से
वो आधा चाँद 
जिसे देख 
मैं भाव विभोर हो गयी 

मुस्कुराते हुई तुरन्त 
लिख दी तुम्हारे नाम 
कविता और 
उसमे लिखी वो सारी 
अनकही 
बातें जो चाह कर भी 
मैं तुमसे कह नहीं पाती... 

जानते हो क्यों ??
क्योंकि डरती हूँ 
कहीं वो बांध जिसने 
हम दोनों को बांध 
रखा है टूट न जाये 
और हम बिखर न 
जाएं... 

#रेवा

1 comment:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(18-02-2020 ) को " "बरगद की आपातकालीन सभा"(चर्चा अंक - 3615) पर भी होगी

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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