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Monday, February 17, 2020

आदत

तुम्हें मांगने की 
कितनी आदत हो 
गयी है न 
शीर्ष पर पहुंचने 
की होड़ में 
प्रसिद्धि पाने 
के जोड़ तोड़ में 
इसका बहुत बड़ा 
हाथ है 

पहले तो थोड़े 
बहुत से काम चल 
जाता था पर
अब मांगते मांगते 
इतनी आदत हो गयी 
है कि जहां कुछ 
अच्छा दिखा बस 
माँग लिया 

ये जानते हो न
की सूरज की किरणें 
एक छिद्र में भी 
अपनी जगह बना 
लेती है.... 


#रेवा

9 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 18 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. Replies
    1. बहुत शुक्रिया आपका

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  4. सच है जिसमें काबिलियत होती है उसे जमीन नहीं तलाशनी
    पड़ती. मंजिल अपने आप मिल जाती है.
    बहुत बढ़िया 👌 👌

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    Replies
    1. बहुत शुक्रिया आपका

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