तुम्हें मांगने की
कितनी आदत हो
गयी है न
शीर्ष पर पहुंचने
की होड़ में
प्रसिद्धि पाने
के जोड़ तोड़ में
इसका बहुत बड़ा
हाथ है
पहले तो थोड़े
बहुत से काम चल
जाता था पर
अब मांगते मांगते
इतनी आदत हो गयी
है कि जहां कुछ
अच्छा दिखा बस
माँग लिया
ये जानते हो न
की सूरज की किरणें
एक छिद्र में भी
अपनी जगह बना
लेती है....
#रेवा
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 18 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteसच कहा
ReplyDeleteशुक्रिया दीदी
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteलाजवाब...
बहुत शुक्रिया आपका
Deleteसच है जिसमें काबिलियत होती है उसे जमीन नहीं तलाशनी
ReplyDeleteपड़ती. मंजिल अपने आप मिल जाती है.
बहुत बढ़िया 👌 👌
बहुत शुक्रिया आपका
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