भी माँगी होती तो आज
पूरी हो जाती
पता नहीं था सुबह मुझे के
आज का दिन इतना
ख़ास हो जाएगा
आने वाले जन्मदिन के इंतज़ार
में मैं वैसे ही खुशी के खजाने
से भरी हुई थी
चकित करने वाली बात ये थी
की आज मेरे बातों के साथी
से मेरी एक छोटी मुलाकात हुई
उस मुलाकात में उसकी
कही बात ने मुझे
दोबारा उससे प्रेम करने पर
मजबूर कर दिया
बात करते समय वो मुझे
देखे जा रहा था
जैसे कितने जन्मों बाद
हम मिले हों
पर फिर एकदम
अचानक गायब हो गया
जब दोबारा बात हुई तो उसने कहा
"तुमको और नहीं देख सकता था
मेरी आँखें भरने लगी थी "
उसके इस कथ्य ने कितना
कुछ कह दिया मुझसे
यही तो है प्रेम बस प्रेम
#रेवा
#रेवा
अथाह प्रेम,
ReplyDeleteप्रेम जो अमर हो वही
प्रेम वो जो परिस्थितियों से हारे नहीं वही.
सुंदर व्रतांत.
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र
आभार
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-02-2020) को 'सूरज कितना घबराया है' (चर्चा अंक - 3600) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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रवीन्द्र सिंह यादव
जी शुक्रिया
Deleteबातों के साथी से मुलाकात और फिर प्रेम
ReplyDeleteवाह!!!
मन बाँधकर रखने वाला लाजवाब सृजन
बहुत शुक्रिया आपका
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया
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