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Monday, November 1, 2010

तुम थे

मेरी कविताओं के प्रेरणा स्रोत तुम थे
कलम भी तुमने दिया था 
उसमे रंग भी तुमने भरे थे  ,
तुझसे मिली एहसासों को 
काग़ज पर उतार
उन्हें शब्दों के मोतियों मे पिरोया करती थी 
उनके साथ हँसा और रोया करती थी ........
पर अब जब तू नहीं साथ तो 
तो सारे फीके हैं  जज्बात
कहाँ से लाऊं शब्द कैसे लिखू 
प्यार की बात ,
सुने है दिन ,सूनी हर रात 
न हँसी है ,न पहले सी बात 
ईट के मकान मे रहती है बस एक आदम ज़ात  .........


रेवा 


7 comments:

  1. गहरी बात कह दी आपने। नज़र आती हुये पर भी यकीं नहीं आता।

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  2. सभी ही अच्छे शब्दों का चयन
    और
    अपनी सवेदनाओ को अच्छी अभिव्यक्ति दी है आपने.

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  3. बहुत आच्छे बिचार है आपके, कृपया लिखते रहिये...

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  4. कहाँ से लाउ शब्द कैसे लिखू
    प्यार की बात ,
    सुने है दिन ,सूनी हर रात
    न हंसी है ,न पहले सी बात
    ईट के मकान मे रहती है बस एक आदम ज़ात ........
    Aah! Kitna dard umad pada hai! Behad khoobsoorat alfaaz!

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  5. sanjay ji......kshama di bahut bahut dhanyavd

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  6. रेवा जी नज़र उठा कर इधर उधर देखिये...बहुत प्रेरणा मिल जाएँगी... लिखती रहे..आपका लेखन प्रभावशाली है...
    मेरे ब्लॉग पर कभी कभी....

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