बेचारा दिल
कभी जलता है , सुलगता है
कभी ठंडा भी हो जाता है ,
कभी तीर आर पार हो जाता है
कभी छु कर निकल जाता है ,
कभी बच्चा बन जाता है
फिर एक ही पल मे जवान भी ,
कभी किसी पर आता है
कभी किसी पर ,
कभी दिल मानता नहीं
कभी कुछ जनता नहीं ,
कभी दिल भर आता है
कभी तर जाता है ,
कभी प्यासा है
तो कभी तृप्त हो जाता है ,
कभी टूट कर बिखर जाता है
कभी जुड़ जाता है ,
अरे हाँ आजकल तो ये गार्डेन गार्डेन भी हो जाता है ,
कितने सारे नाम मिले दिल को
करे क्या बेचारा ,"दिल तो आखिर दिल है" !
रेवा
कभी जलता है , सुलगता है
कभी ठंडा भी हो जाता है ,
कभी तीर आर पार हो जाता है
कभी छु कर निकल जाता है ,
कभी बच्चा बन जाता है
फिर एक ही पल मे जवान भी ,
कभी किसी पर आता है
कभी किसी पर ,
कभी दिल मानता नहीं
कभी कुछ जनता नहीं ,
कभी दिल भर आता है
कभी तर जाता है ,
कभी प्यासा है
तो कभी तृप्त हो जाता है ,
कभी टूट कर बिखर जाता है
कभी जुड़ जाता है ,
अरे हाँ आजकल तो ये गार्डेन गार्डेन भी हो जाता है ,
कितने सारे नाम मिले दिल को
करे क्या बेचारा ,"दिल तो आखिर दिल है" !
रेवा
अरे हाँ आजकल तो ये गार्डेन गार्डेन भी हो जाता है ,
ReplyDeleteऔर हाँ ,हमेशा गार्डेन गार्डेन ही रहने देना ,जीना आसान हो जाता है :))
TUM BAHUT PYAARI HO :)
Hmmm...pata nahee dil kya cheez hai!
ReplyDeleteदिल तो बच्चा है जी :)))
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर दीदी
ReplyDeleteठीक कहा ... दिल तो आखिर दिल ही है बेचारा ... क्या करे ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है.
ReplyDeleteदिल तो आखिर दिल है ...
ReplyDeleteअरे????????????
ReplyDeleteइत्ता सब लिखा और ये तो लिखा नहीं कि धड़कता है दिल !!!!
:)
गाता रहे...तेरा दिल...
सस्नेह
अनु
hahahahahaha....sahi kaha apne di....chalo wo kami apne puri kar di....
Deleteaap sabka bahut bahut shukriya......
ReplyDeleteबहुत सटीक और सुन्दर विश्लेषण ...दिल तो आखिर दिल है ......आभार
ReplyDeleteshukriya sanjay ji
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeletekya keh diya hai...
ReplyDeleteAmrendraji PKji....shukriya
ReplyDeletewah kya baat hai....from v.
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