आजकल रिश्तों के मायने इतने क्यों बदल गए हैं ?
जिन भाई बहनों के साथ हम पल कर बड़े हुए ,
जिनके साथ बचपन में हर कुछ बाँट कर खाया ,हर दुःख सुख मे साथ रहे ,
उनमें बड़े हो कर तो और समझदारी आ जानी चाहिए ,
पर शादी के बाद ,अपनी - अपनी जिम्मेदारी मे इतने व्यस्त हो
जाते हैं की , अपने माँ बाप , भाई बहनों के लिए ही समय नहीं होता ,
कभी मीटिंग्स के बहाने, कभी पैसे की प्रॉब्लम बता कर
कैसे बच निकलने की कोशिश कर सकते हैं ?
इन चीजों के लिए किसे दोष दिया जाये , आजकल के माहौल को ,
या मानसिकता ही बदल गयी है लोगों की ,
बचपन के प्यार और साथ को भूल कर
बेगानों जैसा बर्ताव कैसे कर सकते हैं ?
रेवा
जिन भाई बहनों के साथ हम पल कर बड़े हुए ,
जिनके साथ बचपन में हर कुछ बाँट कर खाया ,हर दुःख सुख मे साथ रहे ,
उनमें बड़े हो कर तो और समझदारी आ जानी चाहिए ,
पर शादी के बाद ,अपनी - अपनी जिम्मेदारी मे इतने व्यस्त हो
जाते हैं की , अपने माँ बाप , भाई बहनों के लिए ही समय नहीं होता ,
कभी मीटिंग्स के बहाने, कभी पैसे की प्रॉब्लम बता कर
कैसे बच निकलने की कोशिश कर सकते हैं ?
इन चीजों के लिए किसे दोष दिया जाये , आजकल के माहौल को ,
या मानसिकता ही बदल गयी है लोगों की ,
बचपन के प्यार और साथ को भूल कर
बेगानों जैसा बर्ताव कैसे कर सकते हैं ?
रेवा
माहौल से उत्पन्न मानसिकता से ग्रसित कमजोर इंसान होते हैं ....
ReplyDeleteजिनमें रिश्ते निभाने की दृढ़ता हो ,वे हर हाल में निभाते हैं ....
सही कहा आपने दूरियां बढती जा रही है और रिश्ते सिमटते जा रहे हैं
ReplyDeleteआजकल दीदी generation गप आ गया है कोई भी किसी के लिए वक़्त नहीं निकल सकता
ReplyDeleteयहां समाज के लिये,अपने रिश्तेदारों-दोस्तों के लिये हमारी ज़िम्मेदरी है कि हम उनके अच्छे बुरे हर वक़्त मे साथ दें,लोगों को मान-सम्मान देने का पैमाना उनकी दौलत नहीं उनका व्यवहार और किरदार हो
भोगवादी संस्कृति बढ़ रही है ...
ReplyDeleteरिश्तों के मायने खत्म हो रहे हैं ...
वर्तमान परिद्रश्य में रिश्तों की वास्तविकता को दिखाती सार्थक शब्द रचना !
ReplyDeleteबहुत अच्छे से एक बहुत अच्छे से विषय को छुआ है तुम ने बहुत खूब
ReplyDeleteआज.... ढूँढते रह जाओगे
ReplyDeleteआपसी स्नेह संयुक्त परिवार में ही पलता-बढ़ता है
वो आज-कल कहीं-कहीं ही नजर आता है
सच कहा है बिलकुल.....
ReplyDeleteवो जिनके बिना एक पल न गुज़रता था जाने कब कैसे दूर होते चले जाते हैं.....
शायद प्राथमिकताएं बदल जाती हैं...
सस्नेह
अनु
वक़्त के साथ सब बदल जाता है रिश्ते भी ...
ReplyDeleteपता नहीं कहाँ जा रहे है हम कभी परिस्थिथियाँ ऐसी होती हैं की हम चाहकर भी अपनों के पास नहीं रह पाते तो कभी आसपास के वातवर्ण का माहौल जिम्मेदार होता है हमें ऐसा बना देने के लिए...
ReplyDeletesab samay ki mahima hai ..............wakt kya badla pane badal jate hai ..........behtreen prastuti*******
ReplyDeleteअगर रिश्ते बदल रहे हैं तो उस से भी जल्दी हमारी खुद की सोच भी बदल रही हैं >>>
ReplyDeleteसमय बदल रहा है रिश्ते बदल रहे है
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya.....is bare may sabki rai janne ka mauka mila
ReplyDeleteshayad waqt ki kami hi vajah ho...shayad..!!?? vasu
ReplyDeletevasu di....thank u
ReplyDeletena dekh kisi aur ko ..pahle tol tarzu main khudi ko...insaan
ReplyDeletesab ek hi rang main hai range