संभाल नहीं पा रही आज अपने दिल को ,
ये मौसम का असर है या तुम्हारे प्यार का
या दोनों का पता नहीं ?
ऐसा पहले तो नहीं होता था
पर आज क्या हो गया ?
हज़ार कोशिशों के बाद भी
मन तुम्हारे पास ही चला जाता है ,
क्युकी मन को सुकून भी शायद
तुम्हारी याद और तुम्हारे एहसास मे मिलता है ,
आँखों ने भी बरस कर खूब साथ दिया तुम्हारा
पर हाँ ये दुःख के आँसु नहीं है ,
ये तो तुम्हारे प्यार मे पागल हो कर
बहने लगे हैं ,
आज पता चला की आंसुओं का स्वाद
मीठा भी होता है /
रेवा
ये मौसम का असर है या तुम्हारे प्यार का
या दोनों का पता नहीं ?
ऐसा पहले तो नहीं होता था
पर आज क्या हो गया ?
हज़ार कोशिशों के बाद भी
मन तुम्हारे पास ही चला जाता है ,
क्युकी मन को सुकून भी शायद
तुम्हारी याद और तुम्हारे एहसास मे मिलता है ,
आँखों ने भी बरस कर खूब साथ दिया तुम्हारा
पर हाँ ये दुःख के आँसु नहीं है ,
ये तो तुम्हारे प्यार मे पागल हो कर
बहने लगे हैं ,
आज पता चला की आंसुओं का स्वाद
मीठा भी होता है /
रेवा
बहुत खूबसूरत रचना....रेवा जी
ReplyDeleteआभार
हर पन्क्ति में एक अलग ही सच छुपा हुआ है
Aise meethe aansun sabhee ke naseeb me hon!
ReplyDeleteबहुत सराहनीय प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार
होता है न ... कहाँ पका , कैसे पका - इसपर निर्भर करता है
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ReplyDeleteइस अद्भुत प्रेम को क्या क्याम दू ?
shukriya aap sabka
ReplyDeletebahut nazuk se bhav liye huye ye rachna...vasu
ReplyDeletethanx di....
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