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Saturday, October 27, 2012

एहसासों का बांध

हमेशा तुमसे मिलने की
ख्वाइश रहती है ,
पर इस ख्वाइश को लेकर
आज दिल मे
एक कशमकश सी है ,
तुमसे मिली तो शायद
अब खुद को भावनाओं
मे बहने से रोक पाना
मुश्किल होगा ,
वो सारे अधूरे एहसास
जो बस तुम्हारी बातों से
और तुम्हे महसुस करने
से पुरे हो जाते है
कहीं बेकाबू न हो जाये ,
तुम्हे देख कर
एहसासों का बांध
कहीं टूट न जाये ,
पर फिर भी मिलना
तो है तुमसे ,
क्युकी नदी समुद्र से न मिले
तो कहाँ जाये...................


रेवा

9 comments:

  1. हमेशा तुमसे मिलने की
    ख्वाइश रहती है ,
    पर इस ख्वाइश को लेकर
    आज दिल मे
    एक कशमकश सी है ,
    तुमसे मिली तो शायद
    अब खुद को भावनाओं
    मे बहने से रोक पाना
    मुश्किल होगा ,
    वो सारे अधूरे एहसास
    जो बस तुम्हारी बातों से
    और तुम्हे महसुस करने
    से पुरे हो जाते है
    खुद को गवां अपने यार में अपना अक्स पहचाना है !!

    यही बयान करती पोस्ट
    चार दिन ज़िन्दगी के .......
    बस यूँ ही चलते जाना है !!

    हो सके तो पढियेगा

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  2. बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

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  3. bahut hi sundar bhav premras se bhara huwa

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  4. दिल को छूते हुए एहसास..
    बहुत खूब !!

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  5. क्युकि नदी समुद्र से न मिले
    तो कहाँ जाये .............
    सही कहा ! बहुत खूब !!

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  6. खूबसूरत अहसास ....

    उड़ता पंछी जी की भी लेखनी में दम है ...बहुत बढिया

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  7. गहरे एहसास जब्त रहना चाहते हैं,पर रह नहीं पाते

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  8. वो कहती है सुनो जानम...मोहब्बत मोम का घर है....
    तपेशी बदगुमानी की...कहीं पिघला न दे इसको....
    मै कहता हूँ...जिस दिल में जरा भी बदगुमानी हो...
    वहां कुछ और हो तो हो....मोहब्बत हो नहीं सकती.....

    वो कहती है...कि सदा ऐसे ही क्या तुम मुझको चाहोगे.....
    कि मै इसमें कमी बिलकुल गवारा कर नहीं सकती.....
    मै कहता हूँ...मोहब्बत क्या है ये तुमने...सिखाया है...
    मुझे तुमसे मोहब्बत के सिवा...कुछ भी नहीं आता....

    वो कहती है...जुदाई से....बहुत डरता है मेरा दिल...
    कि..खुद को तुमसे हट कर देखना...मुमकिन नहीं है अब....
    मै कहता हूँ...यही खद्शाई बहुत मुझको सताती है...
    मगर सच है मोहब्बत में....जुदाई साथ चलती है....

    वो कहती है...बताओ क्या...मेरे बिन जी सकोगे तुम...
    मेरी बातें...मेरी यादें...मेरी आँखें भुला दोगे??
    मै कहता हूँ....कभी इस बात पर सोचा नहीं मैंने....
    मगर इक पल को भी सोचूं तो...साँसे रुकने लगती है....

    वो कहती है...तुम्हे मुझसे मोहब्बत इस कदर क्यों है....
    कि...मै इक आम सी लड़की...तुम्हे क्यों ख़ास लगती हूँ...??
    मै कहता हूँ....कभी खुद को...मेरी आँखों से तो देखो...
    मेरी दीवानगी क्यों है...ये खुद ही जान जाओगी...

    वो कहती है....मुझे वारिफ्त्गी से देखते क्यों हो....
    कि मै खुद को बहुत ही कीमती महसूस करती हूँ....
    मै कहता हूँ...मदा-ए-जां...बहुत अनमोल होती है....
    तुम्हे जब देखता हूँ... जिंदगी महसूस करता हूँ ..

    वो कहती है...मुझे अलफ़ाज़ के जुगनू नहीं मिलते...
    तुम्हे बतला सकूं दिल में.....मेरे कितनी मोहब्बत है....
    मै कहता हूँ...मोहब्बत तो निगाहों से छलकती है...
    तुम्हारी खामोशी मुझसे...तुम्हारी बात करती है....

    वो कहती है....बताओ न...किसे खोने से डरते हो....
    बताओ कौन है वो...जिसको ये मौसम बुलाते है....
    मै कहता हूँ...ये मेरी शायरी है आइना दिल का..
    ज़रा देखो....बताओ क्या ...तुम्हे इसमें नज़र आया...

    वो कहती है...आतिफ जी..बहुत बातें बनाते हो...
    मगर ये सच है...कि...ये बातें बहुत ही शाद रखती है....
    मै कहता हूँ ये सब बातें....फ़साने..इक बहाना है...
    कि...पल कुछ जिंदगानी के...तुम्हारे साथ कट जाए...
    फिर उसके बाद खामोशी का ...दिलकश रक्स होता है...
    निगाहें बोलती है...और लब..खामोश रहते है....

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  9. इन लब्जो को और इन अहसासों को तोलना मेरे बस की बात नहीं है
    बहुत गहरे भाव प्रकट किये है दीदी आपने

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