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Saturday, December 15, 2012

आज का प्यार

"प्यार" सच या सपना
कहीं मिलता है कोई अपना ?
या ये बस एक छलावा है
उलझे रहने का एक सहारा है ,
बिना "मतलब " प्यार का भी
अस्तित्व नहीं शायद ,
दुनिया मे लोग
जितना खुद को प्यार करते हैं
उसका लेश मात्र भी
दूसरों से नहीं करते ,
बस अपने मतलब को
प्यार का चोला पहना
देते हैं और
बड़ी बड़ी बातें भर करतें हैं,
क्युकी प्यार का सच्चा
एहसास तो उन्हें छु
कर भी नहीं गया है ,
अगर ऐसा होता तो
तो आज जितनी अराजकता
फैली है वो नहीं होती ,
न ही किसी के "न "
कहने पर उसे मार दिया जाता
या तेजाब से चेहरा ख़राब कर दिया जाता ,
क्युकी प्यार तो बस प्यार करना
जानता है न ,
अफ़सोस हम अपने बच्चों को
प्रकृति के साथ-साथ
प्यार का भी तोहफा
नहीं दे पायेंगे /

रेवा



9 comments:

  1. सही कहा आपने. प्यार तो सिर्फ़ देना जानता है लेना नही.

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  2. ला-जबाब प्रस्तुति !!
    शुभकामनाएँ !!

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  3. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  4. Khush qismat logon ko mil bhee jate hain apne...

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  5. बहुत ही अच्छी.... जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!

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  6. वाह!बहुत सुंदर .जबरदस्त अभिवयक्ति

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  7. रेवा जी..
    भ्रम से बाहर निकालती एक मार्मिक अभिव्यक्ति दिल को छू गयी ।

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