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Monday, February 18, 2013

प्यार की सजा

इतना टूट कर चाहा तुझे कि
टूटना मेरी किस्मत बन गयी ......

इतना तड्पी तेरे साथ के लिए
कि तडपना मेरी आदत बन गयी ......

इतना सिसकी तेरे दीदार को
कि सिसकना मेरी ज़िन्दगी बन गयी.....

ऐ दिल कभी न कर प्यार किसी से
कि कहीं प्यार मे मरना जरूरत न बन जाये।।

रेवा


11 comments:

  1. प्यार , प्यार कितना प्यारा नाम है इस प्यार का और उतना ही प्यार दर्द जो इस दर्द को न जाने वो इस प्यार को कैसे जाने
    बहुत ही अच्छी रचना उतने ही प्यारे अहसास
    मेरी नई रचना
    फरियाद
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
    दिनेश पारीक

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  2. मार्मिक है आदरिया ।।

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  3. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  4. कभी चिट्ठियों में इजहार करके महीनों इन्तजार किया करते थे...
    आज तो हर दो मिनट में टूटते हैं दिल हजार बार
    मेरी नई रचना
    प्रेमविरह
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  5. हम्म्म्म.......
    मगर प्यार में मरने का अपना मज़ा है...
    :-)

    सस्नेह
    अनु
    हर जगह "की" को "कि" कर लो

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  6. प्रेम में तो जीना चाहिए ... मरने की बातें क्यों ... प्रेम तो एहसास है खुशियों का ...

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