एक सवाल आप सबसे ,कृप्या मार्गदर्शन करें
एक अंधविश्वाश या नहीं ??
मेरे घर मे अक्सर बड़ों ने कहा है , रात को आटा लगा कर यानि गुथ कर फ्रिज मे
नहीं रखना चाहिए ,दुसरे दिन काम मे लेने के लिए ......अगर लगा हुआ आटा रात का बच जाये
तो रोटी बना लो पर रखो मत .....अगर हम रख देते हैं तो उससे घर मे रुपये पैसे की
बरक्कत नहीं होती , कमाई होती है पर दिखती नहीं। पर मुझे ये एक अन्धविश्वाश
लगता है ,कोई सम्बन्ध ही नहीं लगता एक दुसरे से .............आप बताएं आपको क्या
लगता है ??????
रेवा
एक अंधविश्वाश या नहीं ??
मेरे घर मे अक्सर बड़ों ने कहा है , रात को आटा लगा कर यानि गुथ कर फ्रिज मे
नहीं रखना चाहिए ,दुसरे दिन काम मे लेने के लिए ......अगर लगा हुआ आटा रात का बच जाये
तो रोटी बना लो पर रखो मत .....अगर हम रख देते हैं तो उससे घर मे रुपये पैसे की
बरक्कत नहीं होती , कमाई होती है पर दिखती नहीं। पर मुझे ये एक अन्धविश्वाश
लगता है ,कोई सम्बन्ध ही नहीं लगता एक दुसरे से .............आप बताएं आपको क्या
लगता है ??????
रेवा
ताज़ा या बासी खाने का जो फ़र्क होता है वह तो हो सकता है बाकी तो समय की बचत ही कहूँगी मैं इसे ....मुझे यह अंधविश्वास नही लगता ...
ReplyDeletemere yahaa praay: to nahi kabhi kabhi aese gunthe huae aate se roti banaayii zaati hai ..isliye mujhe bhi yah andhvishvas nahi lagtaa
ReplyDeleteMERE YAHA TO AATA FRIDGE ME RAKHA JATA HAI,JO DIL KAHE KIJIYE,MUJHE ASA NHI LAGTA HAI K AISA KARNE SE AAP KE PAS LAKSHM NAHI TIKEGI
ReplyDeleteयथासम्भव जब रोटी बनानी हो, तभी आटा गूँथना चहिये, यह स्वास्थ्य के लिये अच्छा रहता है. लेकिन यदि सुबह बच गया तो शाम को बनालेँ-तब भी कोई हर्ज़ नहीँ. रात का अगले दिन खाने से बचना अच्छी आदत है, लेकिन यदि वह उपयोग मेँ लाया भी गया तो परिस्थितिवश इसमेँ भी कोई दिक्कत नहीँ. बस- कोई जादू- टोना नहीँ और जो ऐसा मानते हैँ, महज़ एक अन्धविश्वास् के अतिरिक्त और कुछ नहीँ. हाँ यह ज़रूर है कि हमारे बुजुर्गोँ ने सम्भवतह यह इस लिये कहा होगा, जिससे लोग इसी बहाने ताज़ा खाने की आदत मेँ आयेँ. मैँ तो ताज़ा खाने के ही पक्ष मेँ हूँ और हमारे घर मेँ उतना ही आटा लगाया जाता है, जो उसी समय उपयोग मेँ आ जाय. बहुधा देखने मेँ आता है कि समय बचाने के लिये महिलायेँ ऐसा शार्ट कट कर लेती हैँ. लेकिन गूँथना तो है ही तो हर टाइम गूँथेँ. खाने के मामले मेँ समय की कंजूसी और गप-शप मेँ भले ही समय बिगाडने मेँ कोई दिक्कत नहीँ. सवाल अच्छा है.
ReplyDeleteअंधविश्वास तो लगता ही है, क्योंकि कोई तार्किक और वैज्ञानिक आधार नहीं है, मगर जानकारी के अनुसार यह धारणा वास्तु के जनकारों ने बैठाई है,वैसे मान्यता ये है कि आटे के लोंदे में जीव का अस्तित्व होता है, इस कारण बलि आदि तांत्रिक कर्मों में इसका उपयोग किया जाता है
ReplyDeletesamai ki kami ke karn raat ko aata gundkar rakh diya jata hai...taaki subah... samai par roti ban ske.......yeh sirf andhvishwas hai.....
ReplyDeleteएक साथ आटा गूँथ लेना सुविधाजनक होता है गृहणियों के लिए...यह सिर्फ अन्धविश्वास है...
ReplyDeleteइससे कोई फर्क नहीं पड़ता है
ReplyDeleteविचारणीय प्रश्न
आग्रह है पढें,मेरे ब्लॉग का अनुसरण करें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
aap sabka bahut bahut shukriya.....samay nikal kar jankari dene ka
ReplyDeleteandh biswas nahi ha smaya aur aate ki bachat aur taji roti khane ka tarika ha..... isliye aata basi mat gutho...taja gutho aur roti taji khao....:)
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