मुझे लगा था
ताउम्र निभा लुँगी ये रिश्ता ,
जैसे हर बात तुमसे
साँझा किया है आज तक
साँझा किया है आज तक
आगे भी करुँगी
पर शायद नहीं ,
कितने दिन चलता तुमसे
ये बातों का सिलसिला ?????
कभी तो ख़त्म होना था न
मैं ही भूल गयी थी की
हर चीज़ की उम्र होती है
उसके बाद वो काम नहीं करती ,
जैसे हर चीज़ की
एक्सपायरी डेट होती है
एक्सपायरी डेट होती है
शायद आजकल रिश्ते भी
एक्सपायरी डेट के साथ बनते हैं।
रेवा
वाह रिश्तों की नयी परिभाषा गढ़ दी है आपने
ReplyDeleteवाकई अब रिश्ते समय के साथ ख़तम हो जाते हैं
भावुक अनुभूति
सादर
आग्रह है
गुलमोहर------
रिश्तों की नई परिभाषा अब समझनी होगी
ReplyDeletesach me rishte bhi expiry date ke saath janamne lage :)
ReplyDeletebhale date expire ho jaaye rishte ki khushbu bani rehti hai jaise phool ke jaane ke baad bhi bani rehti hai........ rishtey phool ki tarah hote hain...
ReplyDeleteकाश सच में ऐसा हो पाता .........
ReplyDeleteकाश रिश्तों की एक्सपायरी डेट का पता होता तो व्यक्ति उसके टूटने पर इतना दुखी नहीं होता...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
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