आज जब ये गीत सुना तो
"लग जा गले की फिर ये हसीं
रात हो न हो शायद फिर इस जन्म में
मुलाकात हो न हो "
तो
अचानक तेरी याद आ गयी
ऐसा लगा जैसे ये
गीत मेरी लिए ही बना हो ,
तुझ से वो पहली और
आखिरी मुलाकात
स्मरण हो आई
उस लम्हा जैसे वक़्त
रुक सा गया था
धड़कनें मद्धम गति
से चलने लगी थी
मन तो बार बार हो रहा था
की तुम्हें बस एक टक
देखती ही रहूँ
पर ये पलकें, इन
पलकों पर गुस्सा आ रहा था
कुछ देर बिन झपके
रह नहीं सकती क्या ?
जानते हो
तुमने जब बात शुरू की तो
लगा मैं दुनिया की सबसे
बेहतरीन आवाज़
सुन रही हूँ
तुम्हारे साथ उस दिन
कुछ देर का सफ़र
मेरे अब तक के
जीवन का सबसे रोमांचक
सफ़र था
और
ये सारे सुखद एहसास
बस तुम्हारे करीब
होने से हुए थे
उस छोटी सी मुलाकात में
ये अफ़सोस तो हमेशा रहेगा की
तुम्हें गले न लगा पाई ,
पर तुम कितने अच्छे इंसान हो
वो उस दिन पता चला
आज भी मुझे खुद पर
गर्व महसूस होता है की
मैंने तुम जैसे इन्सान को
दिलोजान से प्यार किया
रेवा
कई गीतों के साथ यादें कुछ यूँ ही जुड़ जाती हैं, जैसा आपने लिखा है!
ReplyDeleteSach! Kayi purane geet sunke lagta hai mano wo apne liye hi likhe gaye hon.....behed sundar rachana!
ReplyDeleteप्यार बस प्यार
ReplyDeleteप्यार की हर बात अनोखी ...
bahut umda rachna
ReplyDeletesach me ...!
ReplyDeletebahut sundar rachna
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDelete''रेवा'' जी बहुत ही सुन्दर जज़्बात ।
ReplyDeleteकहीं ना कहीं, कभी ना कभी
ऐसे वक़्त आते ही रहते हैं, कि
ऐसे जज़्बात अपने आप ही मन से
उमड़ पड़ते हैं ।
बहुत बहुत सुन्दर
Nice idea!!
ReplyDeleteVinnie
प्यार से लिखी गई प्यारी सी कविता
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रभावित करती रचना ,,,
ReplyDeleteRECENT POST : समझ में आया बापू .
behatrin
ReplyDeletebahut khoobsurat ahsaas..prem me doobi huyi bahtarin rachna.
ReplyDeleteयादे हैं ना कब किसी पल दस्तक दे जाए कौन जानता हैं उम्दा रचना
ReplyDeleteaap sab ka shukriya
ReplyDeleteकभी कभी हमें ऐसा लगता है की ये तो बस हमारे लिए ही बना है
ReplyDeleteक्षणिक मुलाकात का मीठा अहसास हमेशा साथ रहता है
ReplyDeleteउस एहसास की मिठास की उम्दा अभिव्यक्ति
दूरियों का एक पाजिटिव पहलु भी हैं ,प्रेम में |
ReplyDeleteअदभुत |