आज शिक्षक दिवस के दिन
अपने तमाम गुरुजनों के
साथ साथ मैं अपने सबसे बड़े गुरु
अपने पिता को नमन
करना चाहती हूँ ,
जीवन दान और कन्यादान के
साथ साथ जिंदगी
जीने का ज्ञान भी उन्होंने दिया ,
समाज मे सर उठा कर
जीने का सम्मान उन्होंने दिया ,
खाना बनाने से लेकर
हर छोटी बड़ी चीजों का
ज्ञान उन्होंने दिया ,
सदा मेरी सूरत देख कर
मेरी समस्यों का
निवारण उन्होंने किया ,
९ साल की छोटी सी उम्र मे
अपने माता पिता
और भाइयों को खोकर भी
जीवन से हार माने बिना ,
अपना बिज़नस खड़ा किया
और अपने परिवार का
भरन पोषण किया ,
आज वो इस दुनिया मे नहीं हैं
पर हर पल उनका
आशीर्वाद मेरे साथ है ,
पलकें भीगती जरूर है
उन्हें याद करके
पर चहरे पर फिर भी मुस्कान
बनी रहती है ,
मैं आज इश्वर से बार बार
ये कामना करती हूँ की
भगवान ! उनके जैसा गुरु
सबको दे।
"पापा मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ "
रेवा
रेवा जी आपकी कविता काफी मार्मिक है । सद्गुरु की दरकार सभी को होती है , हमारे पिता जी भी हमारे लिए सबसे बड़े गुरु थे , जो उन्होने सिखाया मानस पटल पर आज भी ताजा है । आपको आपकी रचना हेतु शुभकामनायें ।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति -
ReplyDeleteशुभकामनायें -
आदि गुरु को सादर नमन -
एक सुन्दर कोमल और उत्कृष्ट
ReplyDeleteअभिव्यक्ति आपकी ''रेवा'' जी।
माँ-बाप से बढ़कर और कौन गुरु हुए हैं।
सुन्दर बेहद सुन्दर जज़्बात। बधाई
साथ ही बाबूजी को नमन
नमन उन्हें!
ReplyDeleteऐसे ही होते हैं पापा...
सुंदर अभिव्यक्ति / :)
ReplyDeleteपिता के प्रति समर्पित भाव .... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव , सादर नमन बाबूजी को
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletewell written.
Deletevinnie
माँ-पिता सबसे पहले और सबसे बड़े शिक्षक हैं |
ReplyDeleteनमन पिता जी को और सभी गुरुजन को भी
ReplyDeleteदिल से निकली बात पर क्या कहूँ .....।
हार्दिक शुभकामनायें
नमन उन्हें ...
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की शुभकामनायें...