मैं हर रोज़ नए - नए
मनसूबे बनाती हूँ
तुमसे बात न करने के ,
पर कामयाब हो ही नहीं पाती
कभी दिल कमज़ोर पड़ जाता है
कभी दर्द ज्यादा बढ़ जाता है ,
कभी मौसम मना लेता है
कभी तेरा प्यार याद आ जाता है
कभी तुम्हारी कही गयी बातें ,
कभी वो समझ जिससे हमेशा
मेरी बात मुझसे पहले ही
पहुंच जाती है तुम तक............
शायद
तेरी आवाज़
मेरी आदत
और आदत
ज़िन्दगी बन गयी है अब।
रेवा