आज क्या लिखूं ?
हर बार यही सोचती हूँ
और फिर
हमेशा तुम्हे हि लिखतीं हुँ
कब तुमने मुझे प्यार किया
कब तिरस्कार ,
कैसे तुमने मेरी कद्र कि
और कैसे मेरी तरफ़ से आँखें हि
मुंद ली ,
तुम्हे हि तो नापती तौलती
रही ,
क्या मेरा अस्तित्व तुम्हारे
बिना कुछ नहीं ?
"मैं" का "हम" मे बदलना
क्या अलग अस्तित्व के
मायने ख़त्म कर देता है ???
रेवा
हर बार यही सोचती हूँ
और फिर
हमेशा तुम्हे हि लिखतीं हुँ
कब तुमने मुझे प्यार किया
कब तिरस्कार ,
कैसे तुमने मेरी कद्र कि
और कैसे मेरी तरफ़ से आँखें हि
मुंद ली ,
तुम्हे हि तो नापती तौलती
रही ,
क्या मेरा अस्तित्व तुम्हारे
बिना कुछ नहीं ?
"मैं" का "हम" मे बदलना
क्या अलग अस्तित्व के
मायने ख़त्म कर देता है ???
रेवा
हम का अस्तित्व मैं के अस्तित्व से ही तो बना है ... फिर वो कम कैसे ...
ReplyDeleteवाह बेहतरीन..... जीवन के करीब से गुजरते शब्द ॥ एक एक शब्द ... .....बधाई
ReplyDelete"मैं " के बिना" हम " हो नहीं सकता !
ReplyDeleteबेटी बन गई बहू
बहुत बढ़िया रेवा जी बहुत सुन्दर लेखन ! धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
shukriya yashoda behen
ReplyDeleteabhar mayank ji
ReplyDeleteअस्तित्व की लड़ाई में मैं... तुम... हम... सब खो जाता है ..
ReplyDelete~सादर
bahut sundar baat kahi aapne ...
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति, धन्यबाद।
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