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Wednesday, July 25, 2018

ये आंखें भीग जाती हैं


मुस्कुराने की चाह में जाने क्यों हर बार ये आंखें भीग जाती हैं .... तुझे सुकून से भरने जब जब तेरे माथे पर हाथ फेरती हूँ तो ये आँखें भीग जाती हैं ..... तुम जब किसी दिन खिल खिला कर हँसते हो न हंसना चाहती हूँ मैं भी पर जाने क्यों ये आँखें भीग जाती हैं ..... जब कभी लम्बे इंतज़ार के बाद तुम मुझे अपने आगोश में समेटते हो तो सुकून से भर जाती हूँ पर जाने क्यों ये आँखें भीग जाती हैं कभी कभी जब तुम मेरी सिर्फ मेरी परवाह करते हो मुझे बहुत ख़ास महसूस करवाते हो तो उस दिन ये आँखें भीगती नहीं अनायास ही बरसने लग जाती हैं ...... #रेवा

4 comments:

  1. वाह बहुत खूब सुंदर भाव से सजी रचनामुझे बहुत ख़ास महसूस



    करवाते हो तो



    उस दिन ये आँखें

    भीगती नहीं

    अनायास ही

    बरसने लग जाती हैं ......

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26.07.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3344 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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